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मुलायम के निशाने पर क्यों रहा चीन,एंटनी ने खोला राज़

देश ने आज  दिग्गज राजनेता  को खो दिया . मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही सियासत के एक युग का अंत हो गया. नेता जी के निधन पर तमाम राजनेता उन्हें अपनी श्रृद्दा सुमन अर्पित करते हुए उनके साथ अपने बिताए हुए किस्सों और कहानियों को साझा कर रहे  हैं. पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने अखाड़े के पहलवान और सियासत में भी बड़े-बड़े नेताओं को पछाड़ने वाले उतर-प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव को एक दूरदर्शी राजनेता के रूप में याद किया है. उन्होंने  यह भी बताया है कि नेता जी चीन को भारत का सबसे बड़ा दुुशमन मानते थे.

चीन पर हमेशा सख्त रहे मुलायम

मुलायम सिंह यादव के निधन से राजनीतिक गलियारों में एक शून्य पैदा हो गया है. सपा पार्टी के अलावा विपक्षी नेताओं में भी गहरी शोक की लहर है. सभी नेता जी के सियासी व्यक्तिव की जमकर प्रशंसा कर रहे है. यूपी की राजनीति में धाक जमाने वाले मुलायम केंद्र की सत्ता को बखूबी समझते थे. वो सियासत की दुनिया के बड़े और मंझे हुए खिलाड़ी थी. पू्र्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने बताया कि मुलायम चीन को भारत  का सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे.

एटंनी ने कहा, मुलायम भले ही थोड़े समय के लिए देश के रक्षा मंत्री रहे, लेकिन उनकी दूरदर्शिता को कोई नहीं भूल सकता, संसद में रक्षा पर हर चर्चा के दौरान उनके पास बस एक ही बात थी कि ‘चीन से सावधान रहें’, अगर ऐसा नहीं किया, तो यह खतरनाक होगा. एंटनी ने बताया उनकी दूरदर्शीता कमाल की थी उन्होंने बहुत पहले ही बताया था कि चीन देश के लिए घातक है और देखें कि वह कितने सही थे.चीन को लेकर मुलायम कितने सजग थे ,इससे जुड़ी हुई एक महत्वपूर्ण बात हम आपके लिए साझा कर रहे हैं.

पिथौरागढ़ की एयरफील्ड

जब उत्तराखंड अलग राज्य नहीं बना था तब मुलायम सूबे के मुख्यमंत्री थे.वह चीन से खतरे को भांप चुके थे,इसलिए उन्होंने चीन से लगती पिथौरागढ़ की सीमा पर लड़ाकू विमान उतारने के लिए एयरफील्ड बनाने की नींव रखी.हालांकि उनके शासन में ये बात आगे नहीं बढ़ी,लेकिन जैसे ही साल 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ तब वहां हवाई अड्डे का निर्माण कार्य शुरू हो गया जो अब पूरा हो चुका है .इसे नैनीसैनी एयरपोर्ट के तौर पर जाना जाता है.आज इसमें ना केवल छोटे विमान उतरते हैं बल्कि सुखाोई जैसे लड़ाकू विमान भी उड़ान भरते हैं.

मुलायम सिंह यादव प्रदेश की सियासत के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में माहिर थे. 1992 में अपनी राजनीतिक पार्टी समाज वादी पार्टी के गठन के चार साल बाद 1996 में मुलायम सिंह यादव ने केंद्र की राजनीति में जाने के फैसला किया था. एक समय था जब वो देश की सबसे बड़ी पीएम कुर्सी के सबसे बड़े दावेदार थे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.  उन्होंने  1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 देश के रक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी थी.

एंटनी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव को देश के रक्षा मंत्री के रूप में हमेशा याद किया जाएगा, क्योंकि वह सुरक्षा बलों को बहुत अधिक विश्वास और समर्थन देते थे. राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भूमिका के संबंध में, वह हमेशा एक ताकतवर नेता थे और कोई भी उन्हें किसी भी तरह से बाहर नहीं रख सकता था.

 

-आईएएनएस/ भारत एक्स्प्रेस

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