वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) ने गांधी परिवार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके राजनीतिक करियर को गांधी परिवार ने ही बनाया और अंत में उसी ने खत्म कर दिया. अय्यर ने यह बात अपनी नई किताब ‘अ मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ (A Maverick in Politics) और एक इंटरव्यू में कही.
83 वर्षीय मणिशंकर अय्यर ने कहा कि उन्हें लंबे समय से गांधी परिवार के साथ ठोस और सीधा संपर्क बनाने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने खुलासा किया, 10 वर्षों तक मुझे सोनिया गांधी से आमने-सामने मिलने का मौका नहीं मिला. राहुल गांधी के साथ भी केवल एक बार विस्तृत बातचीत करने का अवसर मिला.
अपनी किताब में अय्यर ने 2012 के राष्ट्रपति चुनाव के फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने लिखा कि उस समय प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए था और मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को राष्ट्रपति भवन भेजा जाना चाहिए था.
अय्यर ने कहा, “अगर ऐसा किया जाता तो यूपीए-II सरकार को शासन में रुकावट (Governance Paralysis) का सामना नहीं करना पड़ता और 2014 में कांग्रेस के सत्ता में लौटने की संभावनाएं बनी रहतीं.”
अय्यर ने यूपीए-II सरकार के दौरान नेतृत्व संकट पर भी निशाना साधा. उन्होंने लिखा कि 2012 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कई बार कोरोनरी बाईपास सर्जरी करानी पड़ी, जिससे उनकी कार्यक्षमता पर असर पड़ा.
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य खराब होने के साथ-साथ सोनिया गांधी भी बीमार थीं. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की. इससे पार्टी और सरकार दोनों में नेतृत्व की कमी नजर आने लगी.”
अन्ना हजारे आंदोलन से निपटने में विफलता
अय्यर ने अन्ना हजारे के ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन पर भी टिप्पणी की. उन्होंने लिखा, “इस आंदोलन का प्रभावी ढंग से सामना नहीं किया गया. न ही इससे निपटने के लिए कोई ठोस रणनीति बनाई गई, जिससे जनता का विश्वास कमजोर हुआ.”
अपनी किताब में अय्यर ने अपने राजनीतिक पतन का भी जिक्र किया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के शासन, UPA-I में मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल और बाद में राज्यसभा से बाहर होने और पार्टी में हाशिए पर जाने के बारे में विस्तार से लिखा है.
मणिशंकर अय्यर के ये दावे कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. उनकी किताब ‘अ मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ कांग्रेस के भीतर सत्ता के खेल और नेतृत्व की चुनौतियों का एक अलग दृष्टिकोण पेश करती है. इन खुलासों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और कांग्रेस के भविष्य के नेतृत्व पर बहस को फिर से जीवित कर दिया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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