देश

2070 तक कार्बन उत्सर्जन में नेट जीरो एमिशन के लिए कार्यशाला का आयोजन

विश्व के कई देशों में 10 से 14 प्रतिशत तक बायोमास का उपयोग कोयले के साथ पॉवर प्लांट में किया जा रहा है. जबकि वर्तमान समय में हमारे देश में मात्र 0.5 प्रतिशत ही बायोमास का उपयोग कोयले के साथ पॉवर प्लांट्स में हो पा रहा है. उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के विजन एवं संकल्प को पूरा करने के लिए प्रदेश के थर्मल तापीय परियोजनाओं में कृषि अवशेषों और बायोमास पैलेट्स के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए उद्योगपतियों और किसानो को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे तापीय परियोजनाओं में कोयले पर निर्भरता में कमी आये और वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन में नेट जीरो एमीशन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके.

उन्होंने कहा कि थर्मल पावर प्लांट में को-फायरिंग के लिए कोयले के साथ कृषि अवशेष व बायोमास पेलेट्स के प्रयोग को बढ़ाने से किसानों एवं उद्यमियों की आय में वृद्धि होगी. कृषि अवशेष एवं पराली के न जलाने से वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी साथ ही प्रधानमंत्री के ‘बेस्ट टू वेल्थ‘ और ‘कचरे से कंचन‘ बनाने के सकल्प एवं दृष्टिकोण को बल मिलेगा.

ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड एवं ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के समर्थ के सहयोग से आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. यह कार्यशाला तापीय परियोजनाओं में बायोमास पेलेट्स के प्रयोग को बढ़ावा दिए जाने तथा उद्यमियों को बायोमास के क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु आयोजित की गई थी.

कार्यशाला में मंत्री एके शर्मा ने कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन से किसानों, उद्योगपतियों, स्टेकहोल्डर, स्टार्टअप को एक प्लेटफार्म मिला, जहां पर विशेषज्ञ से उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान और लाभों की जानकारी मिली. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से देश बायो एनर्जी की ओर बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने हेतु पहल कर रही, बायोमास के उत्पादन हेतु गम्भीर प्रयास किये जा रहे हैं और बायो एनर्जी नीति के तहत उद्यमियों को कई सारी सुविधाये दी जा रही हैं.

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ऊर्जा समाज की एक बहुत ही बेसिक जरूरत बनती जा रही है. हमारे शास्त्रों में भी प्रकृति को ऊर्जा से उत्पन्न बताया गया है, फिर चाहे वह गैसीय स्थिति में हो या फिर ठोस रूप में हो. कोयला बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं, लेकिन बायोमास हमारे आस पास प्रतिवर्ष उत्पन्न होता है, यही सब रिन्युएबल सोर्स है. उन्होंने कहा कि पंजाब, गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश बायोमास के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. किसानों से 1.50 रूपये से 02 रूपये प्रति किलो की दर से कृषि अवशेष खरीदा जा रहा है, बायोमास क्षेत्र 55 हजार करोड रुपए से बड़ा बाजार है. इसके बढ़ने से प्रतिवर्ष 20 से 30 हज़ार करोड रुपए किसानों को फायदा होगा और 25 से 30 करोड रुपए का फ़ायदा बायोमास पेलेट्स उत्पादनकर्ता को होगा. इससे रोजगार बढ़ेगा और लोगों को अपने घर के आस-पास की काम मिलेगा.

उन्होंने बताया कि हमारे देश में प्रतिव्यक्ति बिजली उपभोग करने की छमता दुनिया के अधिकांश देशों से बहुत कम हैं. उत्तर प्रदेश में अभी एनटीपीसी के तीन और प्रदेश के दो पॉवर प्लांट्स में बायोमास पेलेट्स का प्रयोग किया जा रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

Divyendu Rai

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