Yogi Cabinet Expansion: लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो गया है. इसके बाद कई मंत्रियों के विभाग बदलने की सम्भावना जताई जा रही है. योगी सरकार में कई मंत्रियों के पास दो से तीन बड़े विभागों की जिम्मेदारी है. इसको देखते हुए अब विभाग कम होने सम्भावना. तो दूसरी ओर योगी मंत्रिमंडल में अब सामाजिक तस्वीर देखने को मिल रही है. 22 सामान्य, 22 पिछड़े, 9 एससी, एक एसटी, एक सिख और एक मुस्लिम मंत्री शामिल कर योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार से संतुलन बिठा लिया है. तो वहीं जानकार मान रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अखिलेश के पीडीए में सेंध लगाते हुए पीडीए कार्ड खेल दिया है. यानी योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार से समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड पर अपना पिछड़ा, दलित और अगड़ा (पीडीए) कार्ड चल दिया है. इसी के साथ ये भी कहा जा रहा है कि, पार्टी ने चुनाव से पहले न सिर्फ सहयोगी दलों को संतुष्ट कर बड़ा तोहफा दिया है, बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को भी साधने की पूरी कोशिश कर जनता को अलग संदेश भी दिया है.
मालूम हो कि सपा लगातार पीडीए को चुनावी नारा बनाकर आगे बढ़ रही है और लगातार पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक को लुभाकर जनाधार बढ़ाने का सपा प्रयास कर रही है. तो वहीं इस बार भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में अति पिछड़ी जाति के ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री बना दिया है. इसी के साथ ही दलित वर्ग से अनिल कुमार और अगड़े वर्ग में ब्राह्मण समाज से सुनील शर्मा को मंत्री बना कर पीडीए कार्ड खेल दिया है. अगर जानकारों के समीकरण को देखें तो 2019 और 2022 में सुभासपा के अलग होने के बाद से भाजपा को पूर्वांचल में नुकसान हुआ था. तो वहीं अब माना जा रहा है कि, सुभासपा के साथ आने से अब लोकसभा चुनाव 2024 और उसके बाद 2027 तक राजभर वोट बैंक साधने में भाजपा को काफी सहयोग मिलेगा.
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इसी के साथ ही योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार से पश्चिमी यूपी को भी साध लिया है. सरकार में पश्चिमी यूपी से ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व नहीं था, जिसकी कमी को भी अब पूरा कर लिया गया है. मालूम हो कि रालोद को भाजपा ने लोकसभा की दो और विधान परिषद की एक सीट गठबंधन में दी है. तो वहीं रालोद ने एक लोकसभा व एक विधान परिषद सीट जाट समाज को दी है और एक लोकसभा सीट पर गुर्जर समाज को उतारा है. इस तरह से माना जा रहा है कि रालोद के सहारे भाजपा ने पश्चिमी यूपी में जाट व गुर्जर वोट बैंक को पूरी तरह से साधा लिया है. तो दूसरी ओर मंत्रिमंडल विस्तार में रालोद से दलित समाज को मौका देकर जाटव वोट बैंक साधने की भी पूरी कोशिश की है. तो वहीं राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा ने तय रणनीति के तहत ही मंत्रिमंडल विस्तार को चुनाव के करीब तक टाला था. माना जा रहा है कि, अगर राजभर को पहले मंत्री बना दिया जाता तो लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में उनका मोलभाव बढ़ता तो वहीं अब मंत्री बनाने से उन्हें एक सीट पर संतुष्ट करना आसान होगा. दूसरी ओर दारा सिंह को भी लंबा इंतजार कराया गया. इसको लेकर कहा जा रहा है कि, चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर जाने की गलती का अहसास उनको कराया गया है और चुनाव नजदीक आते ही नोनिया चौहान मतों को साधने के लिए उन्हें मंत्री बना दिया गया है.
बता दें कि योगी मंत्रिमंडल में चार नए मंत्री शामिल होने के बाद अभी भी 4 पद खाली रह गए हैं. विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसदी मंत्री बनाए जा सकते हैं. गौरतलब है कि, प्रदेश में विधानसभा में सदस्य संख्या 403 है, जिसको देखते हुए 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं. बता दें कि जब दूसरी बार योगी सरकार बनी थी उस समय यानी 25 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सहित 53 मंत्रियों ने शपथ ली थी. तो वहीं जुलाई 2022 में योगी सरकार के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था, जिसकी वजह से उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस तरह से योगी सरकार में 52 मंत्री शेष रह गए थे तो वहीं अब चार नए मंत्री शामिल कर लिए गए हैं. इस तरह से मंत्रिमंडल में 56 सदस्य हो गए हैं. तो वहीं अभी भी चार पद खाली है. तो दूसरी ओर अब नए सिरे से विभागों के बंटवारे की सुगबुगाहट तेज हो गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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