नोएडा के ट्विन टावर के ढहने के बाद जब स्थानीय लोग अपने अपने फ्लैट्स में पहुंचे तो उन्हें नुकसान का पता चलने लगा..पहले ये माना जा रहा था कि ट्विन टॉवर गिराए जाने से आसपास की इमारतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन असलियत अब सामने आ रही है.. ज्यादातर लोगों के घरों में खिड़कियां चटख गई हैं ।
पास वाली सोसाइटी एटीएस की बात करें तो वहां पर काफी फ्लैट्स के और बालकॉनी में दरारें आई है। लोगों को उम्मीद थी कि बाउंड्री वॉल और प्लास्टर झड़ने जैसी दिक्कतें ज्यादा आएंगी। घरों की खिड़कियां टूटने की असल विस्फोट को माना जा रहा है । ब्लास्ट के वक्त 101 डेसीबल की आवाज हुई। जबकि धमाके से ठीक 10 मिनट पहले ये 65 डेसीबल थी। दस मिनट के बाद दोबारा से ध्वनि वापस 65 डेसीबल पर पहुंच गई।
दो से तीन मिनट तक 70 से 80 डेसीबल तक पहुंचने पर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। इसके अलावा 110 डेसीबल में आदमी चिड़चिड़ा होने लगता है। इसका प्रभाव लोगों पर तो नहीं पड़ा लेकिन सोसाइटी के घरों के कांच पर इसका प्रभाव दिखा। अभी तक एटीएस और एमराल्ड में कई घरों में शीशे टूटने की जानकारी मिली है।
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