देहरादून– उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी इन दिनों बेहद दबाव में दिख रहे हैं.एक दिन पहले वह अचानक दिल्ली आए तो देहरादून से लेकर दिल्ली तक चैनलों के कैमरे उनकी ओर तन गए.ज़ाहिर है कि इस खबर को मीडिया की सुर्खियों में आना ही था क्योंकि हफ्तेभर पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी दिल्ली में थे.यहां उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की.त्रिवेंद्र रावत ने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की जो पूरा 1 घंटे तक चली.इसके बाद इस मुलाकात को लेकर तरह तरह की चर्चाएं होने लगीं.त्रिवेंद्र रावत ने दिल्ली से लौटने के बाद बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर आशीर्वाद भी लिया.अब मुख्यमंत्री धामी के दिल्ली दौरे से माना जा रहा है कि जल्द ही उत्तराखंड कैबिनेट में फेरबदल किया जा सकता है.
मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की छवि एक बेदाग नेता की रही है.हालांकि विधानसभा चुनाव में वह अपनी परंपरागत सीट किच्छा में हार गए लेकिन पिछले दिनों जिस प्रकार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का पर्चा लीक हुआ और राज्य सचिवालय में बैकडोर भर्तियों का मुद्दा उठा धामी सरकार की बड़ी किरकिरी हुई.इन घोटालों की जांच एसटीएफ और विजिलेंस विभाग कर रहा है.इस पूरे खेल में राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों और अफसरों का नाम सामने आया है.बीजेपी के एक मामूली नेता हाकिम सिंह को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया.लेकिन ये तय है कि इस मामले में कई रसूखदार शामिल हैं.जिन मंत्रियों का नाम सामने आया है उनमें प्रेमचंद्र अग्रवाल, रेखा आर्य और धनसिंह रावत शामिल हैं.
शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल आजकल जर्मनी गए हुए हैं.उनके साथ राज्य के कुछ बड़े अफसर और नेता भी जर्मनी के दौरे पर हैं.जहां वह कचना प्रबंधन को लेकर एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं.बताया जाता है कि जर्मनी यात्रा से चंद घंटे पहले उन्होंने मंत्रालय के 75 अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिये जिन्हें मुख्यमंत्री धामी ने फौरन रुकवा दिया.मुख्यमंत्री उनसे काफी नराज बताए जाते हैं.खबरें ये भी हैं जल्द ही प्रदेश कैबिनेट में बड़ा फेरबदल हो सकता है.कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं तो कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है जिनमें प्रेम चंद्र अग्रवाल,रेखा आर्य और धनसिंह रावत शामिल हैं.कुछ और मंत्रियों के कामकाज का आकलन किया जा रहा है.मुख्यमंत्री धामी ने राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले और सचिवालय में हुई बैकडोर भर्तियों पर रुख स्पष्ट कर दिया है.
जिस पैमाने पर ये घोटाले हुए उसे देखते हुए सीबीआई जांच की मांग भी उठ रही थी.लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक सीबीआई जांच को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.जाहिर है इस मामले में खुद उत्तराखंड सरकार के मंत्री और अफसर शामिल हैं.एसटीएफ की जांच में बहुस सारे खुलासे हो रहे हैं.जिससे धामी सरकार की सिरदर्दी बढ़ चुकी है.उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक अस्थिरता ज्यादा रही है.केवल एनडी तिवारी के छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका.बहरहाल अभी नौबत वैसी नहीं है.मुख्यमंत्री धामी की कुर्सी सलामत है
-भारत एक्सप्रेस
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