नई दिल्ली- कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए राजनीतिक सरगर्मियां परवान चढ़ने लगी हैं. समझा जा रहा है कि पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. इस रेस में अशोक गहलोत का नाम भी उभर रहा है. इससे लगता है कि अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच प्रेसीडेंट की जंग तय है. बताया जा रहा है कि शशि थरूर ने पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी से मुलाकात करके अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. सोनिया ने उनसे कहा कि यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. पार्टी का कोई भी नेता अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल कर सकता है. राजनीतिक हल्कों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम भी उछाला जा रहा था. आइये जानते हैं इस खबर से जुड़ी 10 बड़ी बातें:
चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी वजहें
1- शशि थरूर जो एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं. उन्होंने सोनिया गांधी से मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. थरूर का मामला दिलचस्प इसलिए भी है कि वह G-23 गुट के उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने 2020 में सोनिया गांधी को खत लिखा था कि पार्टी में संगठनात्मक सुधार किए जाएं. शशि थरूर पिछले 25 साल से कांग्रेस में सोनिया और राहुल गांधी के साथ हैं.
2- शशि थरूर चुनाव लड़ने की इच्छा जताने वाले पार्टी के पहले सांसद हैं, जिन्होंने विदेश से इलाज कराकर लौटीं सोनिया गांधी से मुलाकात की. सोनिया गांधी ने उनको इजाजत दे दी.
3- इस मुलाकात के बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि अशोक गहलोत और थरूर के बीच टक्कर तगड़ी होगी. राजस्थान के बुजुर्ग नेता और मुख्यमंत्री गहलोत भी सोनिया गांधी के वफादार माने जाते हैं और वह राहुल गांधी से अध्यक्ष बनने का अनुरोध कर चुके हैं. वैसे राहुल गांधी को बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल है.
4- पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने यहां तक कहा है कि पार्टी का कोई भी नेता चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है. ये लंबे समय से कांग्रेस की परंपरा रही है. इस मामले में राहुल गांधी का भी यही ख्याल है
5- तीन दिन में नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ये चुनाव ऐसे वक्त होगा जब पार्टी के कुछ प्रमुख नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं. पार्टी छोड़ने वाले अंतिम नेता गुलाम नबी आजाद थे, जिनके बाद कश्मीर के 6 नेताओं ने पार्टी छोड़ दी.
6- गौरतलब है कि सोनिया गांधी 19 वर्ष तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं और 2017 में उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन राहुल गांधी ने 2019 में पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इसकी वजह थी 2019 में पार्टी की लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त जिसकी जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया. इसके बाद के चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा.
7- राहुल गांधी आजकल भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने हजारों कार्यकर्ताओं की मांगों को नकारते हुए फिलहाल अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. जो नेता पार्टी छोड़ चुके है, उनका मानना है कि राहुल गांधी अघोषित तौर पर पार्टी के कर्ता-धर्ता बने रहेंगे. उनका ये भी आरोप है कि राहुल एक कोटरी से घिरे हुए हैं
8- अध्यक्ष पद का चुनाव नजदीक आते ही राहुल गांधी पर चारों ओर से चुनाव लड़ने का दबाव बन रहा है. हालांकि राहुल गांधी इंकार कर रहे हैं लेकिन ऐसा भी माना जा रहा है कि इस यात्रा के माध्यम से राहुल को रीलॉन्च करने की तैयारी की जा रही है.
9- असल में तृणमूल कांग्रेस का उभार और अरविंद केजरीवाल की पार्टी की सफलता ने कांग्रेस को काफी कमज़ोर कर दिया. अरविंद केजरीवाल ने तो गुजरात में यहां तक कहा कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस खत्म हो रही है
10- .कांग्रेस के एक मात्र गैर गांधी अध्यक्ष सीताराम केसरी थे जिन्हें सोनिया ने 1998 में हटा दिया. इसके दो साल बाद नरसिंहराव सरकार चली गयी. लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने सक्रिय राजनीति में दिलचस्पी लेना कम कर दिया.
इस बीच खबर ये भी है 8 राज्यों की कांग्रेस कमेटियों ने राहुल गांधी के पक्ष में आवाज उठाई है. भारत जोड़ो यात्रा के बीच ऐसी खबरें आई हैं कि राहुल के चाहने वाले बहुत हैं. खासकर इस फेहरिस्त में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम सबसे आगे है, लेकिन राहुल गांधी खुद चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं. सवाल ये भी कि अगर शशि थरूर या अशोक गहलोत में से कोई एक अध्यक्ष बनता है तो क्या पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उनके नेतृत्व को स्वीकार कर पाएंगे.
-भारत एक्सप्रेस