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राजस्थान कांग्रेस में सिरफुटव्वल ,गहलोत समर्थक विधायकों ने बिगाड़ा सचिन पायलट का खेल

जयपुर-कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनावों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है,मगर उससे पहले ही राजस्थान कांग्रेस में सिरफुटव्वल के हालात पैदा हो गये हैं.ऐसा लगता है कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव कांग्रेस के लिए किसी ग्रहण से कम नहीं है.सब को पता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की सियासी अदावत पुरानी है जिसकी नीव 2018 के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के साथ ही पड़ चुकी थी.अब सूरत-ए-हाल ये है कि सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की राह में बुजुर्ग नेता अशोक गहलोत ने बड़ी चालाकी से फच्चर फंसा दिया.इस बीच खबर ये भी हैै कि पार्टी आलाकमान ने आदेश दिया है कि अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले विधायक दल की कोई बैठक ना बुलाई जाए.

सियासी ड्रामा चरम पर

इस मुद्दे पर गहलोत समर्थक लगभग 90 विधायकों ने रविवार रात सियासी ड्रामेबाजी के बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपने इस्तीफे सौंप दिए. इनमें निर्दलीय विधायक भी शामिल थे. बाद में सोनिया गांधी ने फोन पर खड़गे और अजय माकन को एक-एक विधायक से मिलकर उनकी राय जानने के निर्देश दिए. सोनिया के कहने पर संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने देर रात फोन पर गहलोत से बात भी की, लेकिन गहलोत ने उन्हें साफ कहा कि अब हालात उनके बस में नहीं हैं.

माहौल सचिन पायलट के खिलाफ

कल शाम जयपुर में मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने विधायकों की बैठक बुलायी थी,लेकिन उससे पहले ही 90 विधायक गहलोत के वफादार माने जाने वाले मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर जुटने लगे.सबसे आपस में बैठक करके फैसला कर लिया कि वह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ हैं. बताया जाता है कि ये बैठक मुख्यमंत्री गहलोत के इशारे पर ही की गयी जिससे वह पार्टी में अपनी ताकत का एहसास करा सकें और 10 जनपथ के संदेश भी दिया जा सके.

अगले सीएम को लेकर फंसा पेच

यूं  तो अध्यक्ष पद के चुनावों के लिए जी-23 गुट के नेता मनीष तिवारी भी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं ,बावजूद इसके मुख्य मुकाबला शशि थरूर और राहुल गांधी के बीच है,जिसमें गहलोत का पलड़ा काफी भारी है क्योंकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के खासमखास रहे हैं.कहने को गहलोत ये भी कहते रहे हैं कि वह राहुल गांधी को मना लेंगे मगर राहुल फिलहाल चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.बल्कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा कि एक व्यक्ति दो ओहदों पर नहीं रह सकता .इसलिए ये तय है कि गहलोत अगर कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना ही होगा.ऐसे में राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा,यहीं सारा पेच फंसा हुआ है.

भारत एक्सप्रेस

 

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