दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का खतरा हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में दो गुना हो जाता है, जिससे लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है साथ ही स्वास्थ्य संबधी कई अन्य बीमारियों से भी जुझना पड़ता है. शुक्रवार को राजधानी की हवा अचानक बेहद खराब हो गई. रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को भी कुछ ऐसा ही देखा गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि आज धनतेरस के मौके पर आम दिनों की अपेक्षा सड़कों पर वाहनों की संख्या दोगुनी थी, जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ा गया.
एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कई सारे कारण हैं. जिसमें प्रमुख रुप से वातारवण को प्रदूषित करने की सबसे बड़ी वजह वायु प्रदूषण में 50 प्रतिशत से अधिक योगदान दुपहिया और चार पहिया है. इन वाहनों से निकलने वाला धुंआ वातावरण में घुल जाता है जिससे प्रदूषण फैलता है.
सड़कों पर सरपट दौड़ते इन वाहनों के कारण जिंदगी की गाड़ी अक्सर धीमी पड़ जाती है. यह जानलेवा धुंआ धीरे-धीरे शरीर मे प्रवेश करके अनेक बीमारियों का रुप ले लेता है. शुक्रवार और शनिवार को दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में गाड़ियों की संख्या अधिक होने के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) अचानक बढ़ गया.
वैसे तो दिल्ली में पिछले साल की तरह इस बार भी दिवाली के मौके पर पटाखों को बैन रखा गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के कई शहरों में भी पटाखों के फोड़ने पर 1 जनवरी तक प्रतिबंध लगाया है. लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग हर साल चोरी-छिपे पटाखें फोड़ते हैं जिसकी वजह से राजधानी में प्रदूषण बढ़ जाता है और आसमान में धुंध सा छा जाता है.
इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है कि, दिवाली के अगले तीन-चार दिनों के बीच दिल्ली की वायु गुणवत्ता (Air Quality Index) में सुधार होने की उम्मीद कम ही है.
-भारत एक्सप्रेस
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