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दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला शौचालयों की चिंताजनक स्थिति पर लिया संज्ञान, PWD को सुधारात्मक आदेश दिए

दिल्ली हाईकोर्ट ने जिला अदालतों में महिला शौचालयों की चिंताजनक स्थिति पर संज्ञान लिया है. उसने सभी अदालतों के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को आदेश दिया है कि वे पुरुषों एवं दिव्यांगों के शौचालयों सहित ऐसी सभी सुविधाओं में स्वच्छता और रखरखाव का एक समान मानक सुनिश्चित करें. कोर्ट ने इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग (PWD) को संबंधित निविदाओं के अनुसार शौचालयों के निर्माण और मरम्मत का काम शुरू करने का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि इन सुविधाओं के रखरखाव में बरती गई लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. उसमें स्वच्छता की कमी और अवसंरचना संबंधी कमियों पर तत्काल कार्रवाई की करने की जरूरत है. उन्होंने सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को रिपोर्ट की समीक्षा करने, सुधारात्मक उपायों की पहचान करने, उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने तथा प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही सुनवाई अगले महीने के लिए स्थगित कर दी.

वकीलों के चैंबर खंड के शौचालयों की स्थिति बदतर

न्यायमूर्ति ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार वकीलों के चैंबर खंड के शौचालयों की स्थिति बदतर है. उन्होंने सभी जिला अदालतों के बार एसोसिएशनों को चैंबर खंड के भीतर शौचालयों के रखरखाव को सुनिश्चित करने और अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा. न्यायमूर्ति ने इस मामले में आयुक्त की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है.

महिला शौचालयों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी

उसमें कहा गया है कि वकीलों के चैंबर खंड में अधिकांश महिला शौचालयों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे का कमी है. उसमें उचित प्रकाश व्यवस्था, हवा के प्रवाह, साबुन और कार्यात्मक स्वच्छता सुविधाएं शामिल हैं. सफाई कर्मचारियों की अपर्याप्त संख्या के कारण नियमित रखरखाव और सफाई नहीं होती है. साथ ही साकेत कोर्ट में भी जलापूर्ति की समस्या देखी गई तथा कड़कड़डूमा कोर्ट में स्वच्छता एवं सफाई कर्मचारियों की भारी कमी बताई है.

मांग- सभी शौचालयों में पानी की निर्बाध आपूर्ति हो

कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को सभी अदालत परिसरों के मुख्य अभियंताओं को संबंधित प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के साथ निकट समन्वय स्थापित करने को कहा जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी शौचालयों में पानी की निर्बाध आपूर्ति हो. अदालत ने यह आदेश एक महिला वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया गया, जिसमें साकेत कोर्ट में वकीलों के चैंबर खंड में शौचालय सुविधाओं की दयनीय और अस्वास्थ्यकर स्थिति को उजागर किया गया था.

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-भारत एक्सप्रेस 

गोपाल कृष्ण

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