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मिसाल दे गई दिल्‍ली उच्च न्यायालय के जस्टिस चंद्र धारी सिंह की विदाई, उन्होंने कहा- ‘न्यायाधीश के कर्तव्य में सहानुभूति और समझदारी जरूरी’

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह को विदाई देने के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने जस्टिस सिंह के स्थानांतरण को “कोर्ट के लिए चुनौतीपूर्ण समय” बताया.

वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि जस्टिस सिंह का अलीगढ़ उच्च न्यायालय में स्थानांतरण “गहरी आत्म-चिंतन” का अवसर है. उन्होंने कहा, “यह पल बार और बेंच दोनों के लिए एक अवसर और जिम्मेदारी है कि वे अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों पर विचार करें.”

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‘न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास कम हो रहा’

उन्होंने आगे कहा, “हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहां न्यायिक प्रणाली पर सार्वजनिक विश्वास कम हो रहा है. न्यायपालिका, जिसे पहले अडिग श्रद्धा के साथ देखा जाता था, अब जांच, संदेह और कभी-कभी सीधे तौर पर नकारात्मकता का सामना कर रही है.”

दिल्ली उच्च न्यायालय बार की जिम्मेदारी और भूमिका

एन हरिहरन ने यह भी कहा, “बार के रूप में हम अक्सर स्वार्थी, बेपरवाह और यांत्रिक के रूप में देखे जाते हैं, जो न्याय और मानव जीवन के प्रति कम संवेदनशील होते हैं.”

जस्टिस चंद्र धारी सिंह का योगदान और उनके विचार

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा, “न्यायाधीश होना कोई यांत्रिक कार्य नहीं है. इसमें सहानुभूति और समझदारी की आवश्यकता होती है. एक न्यायाधीश को कभी-कभी न्याय करने के लिए अपने दिल को कठोर करना पड़ता है, लेकिन वह कभी भी उदासीन नहीं हो सकता.”

मुख्य न्यायाधीश सी.जे. उपाध्याय ने कहा, “जस्टिस चंद्र धारी सिंह एक मेहनती और राहत देने वाले न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं. वह People’s Judge हैं और समाज और सामाजिक गतिशीलता की उनकी समझ उन्हें एक बेहतरीन न्यायाधीश बनाती है.”

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने सुनाए कई उल्लेखनीय फैसले

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने हाल ही में पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर को प्री-अरेस्ट बेल देने से इंकार कर दिया था, जो यूपीएससी परीक्षा में धोखाधड़ी की आरोपी थी. इसके अलावा, उन्होंने हिंदू कॉलेज के संकाय सदस्य के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने से भी इंकार किया था, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोपी था.

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Bharat Express Desk

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