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जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट में विचार, न्यायिक जवाबदेही की उठी मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव विवादित बयान पर समाचार पत्रों के आधार पर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से ब्यौरा मांगा है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट मे विचाराधीन है. विवादित बयान को लेकर न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (CJAR) ने सीजेआई संजीव खन्ना को पत्र लिखा है.

पत्र में न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ आंतरिक जांच की मांग की गई है. पत्र में यह भी मांग की गई है कि जांच पूरी होने तक न्यायमूर्ति यादव को सभी न्यायिक कार्यो से दूर रखा जाए. जस्टिस शेखर यादव ने मुस्लिम समुदाय का नाम लिए बिना कहा कि कई पत्नियां रखना, तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाएं अस्वीकार्य है.

अगर आप कहते हैं कि पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. न्यायमूर्ति शेखर ने यूनिफॉर्म सिविल कोड़ पर आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि हमें यह कहने में कोई झिझक नही है कि यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के मुताबिक चलेगा. न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव द्वारा 8 नवंबर 2024 को इलाहाबाद में हाई कोर्ट परिसर में आयोजित विश्व हिंदू परिषद (BHP) के कार्यक्रम के दौरान विवादित टिप्पणी की गई हैं.


यह भी पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव का विवादित बयान, कहा- बहुसंख्यक समाज की इच्छानुसार चलेगा भारत


-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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