राहुल गांधी (फाइल फोटो)
वीर सावरकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश पर रोक लगा दिया है. 4 अप्रैल 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी के खिलाफ समन आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें यह स्वीकार नहीं कि किसी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के खिलाफ इस तरह का बयान दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि जब आप भारत के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते तो आप स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते. जिसपर राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दुश्मनी पैदा करने का इरादा नही था.
आगे कोर्ट ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहे. उन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई, और हम उनके साथ ऐसा व्यवहार करते है? जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि क्या आपके मुवक्किल को पता है कि महात्मा गांधी ने भी आपका वफादार सेवक शब्द का इस्तेमाल किया.
कोर्ट ने यह कहा कि क्या उनको पता है कि उनकी दादी ने भी स्वतंत्रता सेनानी को पत्र भेजा था. उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतिहास और भूगोल जाने बिना इस तरह की टिप्पणियां नहीं कि जा सकती है.
राहुल गांधी का कहना है कि उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही निराधार है और इसे खत्म किया जाना चाहिए. राहुल गांधी ने 17 नवंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला जिले में अपनी भारत जोड़ों यात्रा के दौरान एक रैली में सावरकर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
लखनऊ के रहने वाले वकील नृपेंद्र पांडे ने राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (A) और 505 का मुकदमा दायर किया है. इसमें बताया गया है कि 17 दिसंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी के वीर सावरकर को अंग्रेजों का नौकर और पेंशन लेने वाला कहा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से तैयार पर्चे भी पत्रकारों को दिए गए.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांधी की टिप्पणी सावरकर को बदनाम करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी. राहुल गांधी ने याचिका में सत्र न्यायालय के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें शिकायतकर्ता नृपेंद्र पांडे द्वारा जून 2023 में उनकी शिकायत खारिज किए जाने के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका की अनुमति दी थी. इस मामले में हाजिरी माफी की अर्जी लगाने पर निचली अदालत ने उनपर 200 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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