
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: IANS)
रिजिडेंट्स डॉक्टर्स के एक संगठन ने काम के घंटो को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. यह जनहित याचिका यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) ने सुप्रीम कोर्ट के वकील सत्यम सिंह राजपूत और सुश्री नीमा (एओआर) के माध्यम से दायर की है. दायर जनहित याचिका में देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों पर लगाए गए शोषणकारी और असंवैधानिक कार्य स्थितियों को चुनौती दी गई है.
यूडीएफ के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने कहा, ” रेजिडेंट डॉक्टरों को नियमित रूप से बिना पर्याप्त आराम के साप्ताहिक 70-100 घंटे काम कराया जाता है, जिससे उन्हें लगातार तनाव, शारीरिक थकावट और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट होती है. इससे न केवल डॉक्टरों को खतरा होता है, बल्कि मरीज की सुरक्षा भी प्रभावित होती है.” दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वर्ष 1992 की अधिसूचना के अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि रेजिडेंट डॉक्टरों से प्रतिदिन 12 घंटे और प्रति सप्ताह 48 घंटे से अधिक काम नही करा सकते. लेकिन उसके बावजूद अस्पताल अब भी तय दिशा निर्देश का उल्लंघन कर रहे है.
मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर
याचिका में मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. जिसमें यह उजागर हुआ है कि पिछले पांच वर्षों में 150 से अधिक मेडिकल छात्रों ने काम के दबाव के चलते आत्महत्या कर चुके है. अधिवक्ता सत्यम सिंह राजपूत ने कहा कि यह केवल श्रम अधिकारों के बारे में नहीं हैं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत गरिमा के साथ जीवन के मौलिक अधिकार के बारे में है. इससे पहले जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने डॉक्टरों की सुरक्षा से संबंधित दाखिल याचिका को खारिज कर दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर पहले से ही पर्याप्त दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं और यदि उनका पालन नहीं होता तो संबंधित पक्ष उचित विधिक उपायों का सहारा ले सकते है. वर्ष 2022 में तीन याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर अधिक प्रभावी उपायों की मांग की गई थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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