10th International Yoga Day 2024: योग भारतवर्ष का वह अनमोल ज्ञान है जिसने पूरे संसार को अभीभूत किया है। योग ज्ञान की वह धारा है जो अनंत काल से बह रही है। बात करें इसकी प्रासंगिकता की तो योग ज्ञान की धारा अनंत यानी परम तत्व से होते हुए, सिद्ध गुरुओं और महर्षियों से होते हुए आज प्रत्येक जनमानस में अपना स्थान बना चुकी है। विश्व आज दसवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है, जिसका एक थीम भी रखा है, “स्वयं और समाज के लिए योग”. स्वयं और समाज के लिए योग का जो शीर्षक रखा है वह केवल एक शीर्षक ही नहीं है, बल्कि योग का सार भी है। अगर समझने की कोशिश करें तो योग का मतलब ही है परिपूर्णता, एकता, जुड़ाव, परस्पर प्रेम, शांति, अहिंसा, ताकत, बल, निडरता, साहस आध्यात्मिकता मिलना और मिलाना, सहजता, विनम्रता, सात्विकता, सादगी। इसका अर्थ यह निकलता है कि जहां पर भी योग होगा या योग के किसी भी अंग का अभ्यास किया जा रहा होगा, उसका पालन किया जा रहा होगा। वहां पर यह सभी गुण अपने आप दिखाई देने लगेंगे या महसूस कर सकते हैं।
योग से जीवन बनता है सफल
जब हम स्वयं के लिए योग करते हैं तो वह न केवल हमको जीवन को सफलता पूर्वक जीने की प्रेरणा देता है, बल्कि हमारे कर्तव्य की ओर भी ध्यान दिलाता है. जब प्रत्येक प्राणी स्वयं के लिए योग करेगा तो वह समाज के लिए भी अपने कर्तव्यों का पालन करेगा। हर व्यक्ति जब योग के अंगों को अपने दिन प्रतिदिन की दिनचर्या में अपनाएगा तो समाज में होने वाले परिवर्तन अपने आप सकारात्मक दिखाई देंगे। वह सकारात्मकता कैसे दिखाई देगी? वह सकारात्मकता हमारे व्यवहार में, हमारे एकता में, समाज के साथ परस्पर प्रेम में, पर्यावरण के रखरखाव में, प्रकृति का दोहन ना करना बल्कि प्रकृति का पोषण करने के संदेश में दिखाई देगा।
प्रत्येक व्यक्ति से समाज बनता है और समाज से ही राष्ट्र। प्रत्येक व्यक्ति योग नियमों का पालन करें तो एक स्वस्थ समाज का निर्माण होता है और जब एक स्वस्थ समाज का निर्माण होता है तो स्वस्थ राष्ट्र का सपना फलीभूत होता है। जब एक स्वस्थ राष्ट्र फलीभूत होता है तो उसके संस्कारों का असर पूरे विश्व पर पड़ता है, जैसा कि हमें दिखाई भी दे रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किया गया एक सफल प्रयास योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनमानस तक ले जाने का कार्य जो उन्होंने किया उसका असर आज पूरे विश्व में दिखाई दे रहा है।
आज भारतवर्ष के अलावा विदेश में योग को सहज भाव से अपनाया जा रहा है और अपनी दिनचर्या में उतारा जा रहा है। योग के महत्वपूर्ण अंग अष्टांग योग अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनका विश्लेषण किया जाए और उनका पालन किया जाए तो समस्त राष्ट्रों में परस्पर प्रेम होगा। ग्लोबल वार्मिंग जैसे जो विषय हैं उन पर चिंतन किया जा सकता है। युद्ध की स्थितियों से भी निपटा जा सकता है, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया जा सकता है और प्रकृति को बचाने का जो कार्य है, जिसका दोहन हम लगातार अपने भौतिक सुख के लिए कर रहे हैं उसको भी रोका जा सकता है। आज की पीढ़ी आसन से बहुत अधिक प्रभावित है और आसन का अभ्यास ऐसा आकर्षण है जो हमें योग को जानने में मदद करता है।
बस सीखने की जरूरत है…
योग सिर्फ मानव का मानव के साथ नहीं है कि हमने सीखा और अपने ऊपर अप्लाई किया यह पूरे समाज को समेटे हुए है. इसके अंदर ही हमारी यह सारी चीजें भी आती है। उनके बगैर हमारा जीवन भी अधूरा है। पेड़ पौधे वनस्पतियां जड़ी बूटियां हमारे स्वास्थ्य निर्माण के लिए बहुत जरूरी है। शाकाहार को अपनाने के लिए हमारी जड़ी बूटियां वनस्पतियां और जितनी भी साग सब्जियां हैं, हरियाली और मुख्य रूप से खेती इसके लिए उत्तरदाई है। मोटे अनाज की हम बात करते हैं वह हमें प्रकृति ही दे रही है तो प्रकृति के साथ जो समन्वयता है वह योग सीखा रहा है। वह आसन भी सीखा रहा है, वह प्राणायाम भी सीखा रहा है बस सीखने की जरूरत है।
प्रकृति से जोड़ने वाले आसन
आसन स्थिरता देता है, ठहराव देता है न केवल आपके शरीर के अंगों में ही नहीं बल्कि चित्त् को भी शांत करता है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आईए आज बात करते हैं कुछ ऐसे आसनों की जो हमें प्रकृति से भी जोड़ते हैं और जो हमें आध्यात्मिकता की ओर भी जोड़ते हैं। जिनके नाम ही प्रकृति पर है, पेड़ पौधों पर है, जानवरों पर है।
जैसे कि अगर हम ताड़ासन की बात करें वृक्ष से संबंधित आसन है यह, हमारे चेस्ट के लिए, सांसों के लिए, ऑक्सीजन के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण आसन है। हाइट बढ़ाने के लिए तो है ही तो देखिए इसमें समानता कहां है। जैसे वृक्ष का नाम ताड़ और आसन का नाम भी ताड़ासन, ताड़ का जो वृक्ष है वह एक ऊंचाई दिए हुए रहता है, लंबा होता है, जब इसको किया जाता है तो उससे हमारे शरीर की लंबाई में सकारात्मक वृद्धि (एक उम्र तक) हो सकती है। इस प्रकार से इस आसन में हमारे फेफड़े काफी खुलते हैं। चेस्ट स्प्रेड हो जाती है और मैक्सिमम ऑक्सीजन हमारे शरीर में आ जाती है। यहां पर हम फिर से इसको जोड़ेंगे वृक्ष से, सभी पेड़ हमें पूरे दिनऑक्सीजन देते हैं, तो कितना अच्छा रिलेशन है ताड़ासन का। यहां पर शरीर की भी लंबाई में वृद्धि होती है तो एक सहज ही योग ने संबंध स्थापित किया है प्रकृति से, धरती से, आकाश से, वायु से, जल से, अग्नि से, पेड़ पौधों से, हवा , पहाड़, नदियां, तालाब, झरने, पशु पक्षी इन सब में योग है।
पद्मासन
हम बात करें पद्मासन की तो पद्मासन मतलब कमल के समान, जैसे कमल के फूल की एक अपनी सुंदरता है उसको देखते ही मन शांत हो जाता है, एक आध्यात्मिकता का भाव आता है, एक समर्पण का भाव आता है। इस प्रकार से जब इस आसन की हम बात करते हैं तो पद्मासन में बैठकर हमेशा हमारे ऋषि, मुनि और सिद्ध गुरु सभी ध्यान करते रहे हैं। उस परम तत्व की ओर मिलने का प्रयास करते हैं। ध्यान योग की मुद्रा पद्मासन को कहा गया है।
एक मुद्रा की और बात करते हैं। योग में अश्वनी मुद्रा-अश्व का मतलब होता है घोड़ा यानी वह मुद्रा जो घोड़े के समान शक्तिशाली हो। इस मुद्रा के अंतर्गत अपनी गुदा की मांसपेशियों को, घोड़ा जिस प्रकार से मल त्याग के बाद संकुचन करता है और ढीला छोड़ता है उस प्रकार से किया जाता है। यह मुद्रा शरीर को शक्ति प्रदान करती है और हमें बहुत तरीके से लाभ होते हैं। यहां पर भी हम देखते हैं कि योग हमें प्रकृति के साथ जोड़ता है। प्रकृति में उपलब्ध जितने भी जीव जंतु हैं, पेड़ पौधे है और निरंतर बहने वाली हवा है उनके साथ जोड़ता है ।
इसका मतलब यह हुआ कि हमें यह भी सीखना होगा कि हमें प्रकृति से प्रेम करना है, प्रकृति को सींचना है, उसका पोषण करना है, उसका ख्याल रखना है और उसे उजाड़ना नहीं है, बल्कि आने वाली जो हमारी पीढ़ी है उनके लिए बचा कर रखना है, तभी दसवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मनाने का और स्वयं और समाज के लिए योग को करने का जो हमारा लक्ष्य है वह फलीभूत हो पाएगा।
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