महिला कमांडोज चला रहीं नशा मुक्ति अभियान
International Women’s Day 2025: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में बालोद जिले की महिला कमांडोज ने समाज में नशे और अन्य व्यसनों के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया. इस बार महिला कमांडोज का अभियान “नशा सिर्फ शराब का नहीं होता” के स्लोगन के साथ शुरू किया गया है, जो न सिर्फ शराब बल्कि जुआ, सट्टा, और अन्य बुरे व्यसनों से लोगों को दूर रहने के लिए प्रेरित करता है. इस पहल का नेतृत्व कर रही हैं पद्मश्री शमशाद बेगम, जो महिलाओं और बच्चों के लिए समाज सुधार की दिशा में निरंतर काम कर रही हैं.
शमशाद बेगम के नेतृत्व में महिला कमांडो की टीम नशा मुक्ति, शिक्षा, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रही है. ग्रामीण इलाकों में ये कमांडो महिलाओं और बच्चों की शिक्षा में मदद करती हैं और उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से अवगत कराती हैं. इसके अलावा, वे गांव-गांव में गश्त लगाकर लोगों को नशे के खतरे और इसके प्रभावों के बारे में जागरूक कर रही हैं. महिला कमांडो का यह प्रयास न सिर्फ गांवों में बल्कि समाज के अन्य हिस्सों में भी धीरे-धीरे बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है.
महिला कमांडोज ने इस बार नशे के अन्य रूपों, जैसे कि जुआ और सट्टा, के खिलाफ भी जन जागरुकता फैलाने का अभियान शुरू किया है. एक महिला कमांडो जागेश्वरी देशमुख ने बताया कि वे रोज़ गश्त के दौरान गांववासियों को नशे और जुआ सट्टा से दूर रहने की सलाह देती हैं. उन्होंने कहा, “हमारे गांव में ताश और जुआ पूरी तरह से बंद हो चुका है. हम जल्द ही नशा पान करने वालों को भी इससे मुक्त करने में सफल होंगे.”
एक अन्य महिला कमांडो यामिनी देशमुख ने समाज में बढ़ते नशे और लत के बारे में चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि टीवी चैनलों पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों और फिल्मी सितारों द्वारा किए जाने वाले प्रचार से समाज में गलत संदेश जा रहा है.
यामिनी ने कहा, “आजकल क्रिकेट जैसे खेलों के विज्ञापनों में सट्टा और जुआ का प्रचार किया जा रहा है, जिससे लोगों को इन लतों में फंसने की प्रेरणा मिल रही है,” महिला कमांडो ने सरकार से अपील की कि इस दिशा में सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि गलत प्रचार से बचा जा सके और समाज की नैतिकता बनाए रखी जा सके.
इन महिला कमांडोज ने कोरोना महामारी के दौरान भी राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. शमशाद बेगम के नेतृत्व में इन कमांडो ने अनाज बैंक में जरूरतमंदों के लिए चावल, दाल, और रुपये जमा किए. उन्होंने न सिर्फ कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने में मदद की, बल्कि इस कठिन समय में भी अपनी जान की परवाह किए बिना समाज सेवा का कार्य किया. उनका यह कार्य दिखाता है कि महिला कमांडो केवल नशे के खिलाफ ही नहीं, बल्कि समाज के हर पहलू में सक्रिय हैं.
महिला कमांडोज न सिर्फ नशे के खिलाफ काम कर रही हैं, बल्कि घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए भी विशेष जागरूकता अभियान चला रही हैं. शमशाद बेगम ने बताया कि महिला कमांडो ने घरेलू हिंसा के खिलाफ जिला स्तरीय समिति में भी कार्य किया है. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि नशे की अन्य लतों जैसे अश्लीलता और पोर्न वीडियो के प्रति भी जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है, क्योंकि ये समस्याएं न सिर्फ युवाओं को बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करती हैं.
पद्मश्री शमशाद बेगम और उनकी टीम का मुख्य उद्देश्य समाज में व्याप्त नशे की लतों को समाप्त करना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है. उनका मानना है कि जब महिलाएं और समाज के अन्य सदस्य मिलकर कार्य करेंगे, तो वे समाज में वास्तविक बदलाव ला सकते हैं. वे हर व्यक्ति से अपील करती हैं कि वे नशे से दूर रहें और समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाने में मदद करें.
महिला कमांडो का यह प्रयास समाज के सभी वर्गों के लिए प्रेरणादायक है. वे यह दिखा रही हैं कि अगर महिलाएं अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझें, तो वे समाज में बड़े बदलाव ला सकती हैं. “नशा सिर्फ शराब का नहीं होता” जैसे अभियानों के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि होगी.
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