भारत ने सिंधु जल समझौते पर लगाई रोक.
Indus Water Treaty: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम के बैसरन में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक प्रहार किया है. भारत ने कई प्रतिबंध लगाने के साथ ही सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) को स्थगित कर दिया है. मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कड़े कदमों में, सबसे ज्यादा चर्चा सिंधु जल समझौते पर हो रही है. ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर क्या है सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) और इसे कब से लागू किया गया था, इसके स्थगित होने से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?
साल 1947 में आजादी मिलने के बाद भारत का बंटवारा हुआ और एक नया देश पाकिस्तान अस्तित्व में आया. बंटवारे के समय तमाम चीजों का बंटवारा हुआ, बंटवारे के बाद नदियों के पानी को लेकर भारत का पाकिस्तान से विवाद शुरू हो गया, जिसपर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए 1948 में पाकिस्तान को जाने वाले पानी पर रोक लगा दी. इस रोक की वजह से पाकिस्तान में हालात बिगड़ने लगे और कृषि से लेकर पीने के पानी की समस्याएं पैदा होने लगीं. हालांकि एक समझौते के बाद भारत ने पानी देना शुरू कर दिया.
इस विवाद का स्थायी तौर पर हल निकालने के लिए साल 1949 में एक अमेरिकी विशेषज्ञ डेविड लि्लियेन्थल ने सुझाव दिया कि इस समस्या को राजनीतिक स्तर से हटाकर तकनीकी और व्यापारिक स्तर पर सुलझाया जाए. इसके लिए उन्होंने विश्व बैंक की मदद लेने की सिफारिश की. इस सिफारिश के बाद सितंबर 1951 में वर्ल्ड बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक ने मध्यस्थता करने पर सहमति जताई. इसके बाद अगले 10 सालों तक इस पर बैठकों का एक लंबा दौर चला.
19 सिंतबर, 1960 को वह दिन भी आया, जब पाकिस्तान के कराची में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अय्यूब खान ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) नाम दिया गया. इस समझौते के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के पानी को भारत और पाकिस्तान में किस तरह से वितरित किया जाए, इसका उल्लेख किया गया.
इस समझौते के अनुसार, तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत को, तथा तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया. पाकिस्तान के नियंत्रण वाली नदियां भारत से होकर पहुंचती हैं. ऐसे में इस संधि के अनुसार भारत को इन नदियों के पानी के इस्तेमाल की कुछ शर्तों के साथ छूट दी गई, जिसमें सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्पादन की अनुमति शामिल है. संधि के तहत जल का 80% हिस्सा पाकिस्तान में चला गया, जबकि शेष 20% जल भारत के उपयोग के लिये छोड़ दिया गया.
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समझौता (Indus Water Treaty) होने के बाद 12 जनवरी 1961 से संधि की शर्तें लागू कर दी गईं. इस तरह दोनों देशों के बीच एक बड़ा झगड़ा शांत हुआ. इस संधि के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं. 3 पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलज) के पानी पर भारत का पूरा हक दिया गया. बाकी 3 पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी के बहाव को बिना बाधा पाकिस्तान को देना था.
अब ऐसे में जब भारत ने Indus Water Treaty को निलंबित कर दिया है, तो इसका पाकिस्तान पर क्या असर पड़ने वाला है, यह भी जान लेते हैं- दरअसल, इस पानी का 93 फीसदी हिस्सा सिंहाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में बिना इस पानी के खेती करना संभव नहीं होगा.
झेलम, चिनाब, सिंधु नदी के पानी पर करीब 237 मिलियन से अधिक आबादी निर्भर है, जिसमें पाकिस्तान की सिंधु बेसिन की 61 प्रतिशत आबादी शामिल है. पाकिस्तान के प्रमुख शहर- कराची, लाहौर और मुल्तान सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर हैं. इतना ही नहीं, पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट भी इसी नदी के पानी से चल रहे हैं.
सिंधु जल समझौता के निलंबित होने से इन नदियों से कृषि में उपयोग होने वाले पानी की आपूर्ति बंद हो जाएगी, जिससे अन्न उत्पादन पर भी गहरा असर पड़ेगा, जिससे लाखो लोगों के सामने अन्न संकट पैदा हो जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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