सियासी किस्से

Siyasi Kissa: ‘नेताओं को नाश्ते में खाने वाला’ मुख्य चुनाव आयुक्त, जिससे प्रधानमंत्री भी खाते थे खौफ, कहानी टीएन शेषन की

Siyasi Kissa:तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन, जिन्हें हम टीएन शेषन के नाम से भी जानते हैं. देश के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन को लेकर तमाम तरह की कहानियां और किस्से सियासी गलियारों में भरे पड़े हैं. जिन्हें समय-समय पर लोग याद करते हैं. लोगों का कहना है कि नेताओं से ज्यादा चर्चे उस दौर में टीएन शेषन के हुआ करते थे. वहीं जब चुनाव आयोग की बात होती है, तो कहीं न कहीं टीएन शेषन का नाम जरूर जुड़ जाता है. इसके पीछे एक बड़ी वजह भी है. उन्हें चुनावों में सुधारों का अगर जनक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. क्योंकि आजादी के बाद जब चुनाव आयोग का गठन हुआ तो चुनाव आयोग को पूरी तरह से पंगु कर दिया गया था. माने, राजनीतिक पार्टियों के नेता कभी भी चुनाव आयोग को सीरिसयली नहीं लेते थे, लेकिन एक ऐसा दौर आया, जब चुनाव आयोग को उसकी शक्ति का अहसास कराया गया. जिसके बाद नेता तो छोड़िए. देश के पीएम तक चुनाव आयोग से खौफ खाने लगे थे.

“शेषनवा को भैंसिया पे चढ़ाकर गंगाजी में हेला देंगे”

दरअसल, हम जिन टीएन शेषन की बात कर रहे हैं. वे बहुत ही कड़क मिजाज के थे. अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से निभाते थे, इसके अलावा गलत करने वालों की क्लास भी जमकर लगाते थे. कहा जाता है कि टीएन शेषन अक्सर कहा करते थे कि “मैं नाश्ते में नेताओं को खाता हूं.” उनके बारे में एक और बात कही जाती थी कि नेता या तो भगवान से डरते हैं या फिर शेषन से. शेषन की सख्त मिजाजी से बड़े-बड़े नेता परेशान थे. एक बार तो लालू प्रसाद यादव ने यहां तक कह दिया था कि “शेषनवा को भैंसिया पे चढ़ाकर गंगाजी में हेला देंगे.”

1954 में UPSC की परीक्षा पास करने वाले टीएन शेषन को तमिलनाडु कैडर मिला. जिसके बाद उन्हें 1962 में पहली बड़ी जिम्मेदारी मिली और मद्रास ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का डायरेक्टर नियुक्त किया गया. विभाग की जिम्मेदारी मिलते ही उन्होंने अपने सख्त तेवर दिखाने शुरू कर दिए. दिन हो या रात, सड़कों पर अकेले उतरकर ट्रक से लेकर बस ड्राइवरों को फटकार लगाते हुए हर जगह टीएन शेषन दिख जाते थे.

‘हेलो मैं स्पेस से शेषन बोल रहा हूं’

हालांकि टीएन शेषन यहीं नहीं रुके. 1969 में जब टीएन शेषन को एटॉमिक एनर्जी कमीशन का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया. और 1972 में वो डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस में जॉइंट सेक्रेट्री बने. यहां पर भी उनके काफी चर्चे होने लगे. इस दौरान का एक किस्सा काफी प्रचलित है. दरअसल, जब वो डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस में जॉइंट सेक्रेट्री थे तो उसी दौरान इंदिरा गांधी के एक सचिव थे, जिनका नाम एनके शेषन था. इसलिए जब भी टीएन शेषन फोन पर किसी से बात करते थे, तो बोलते थे, ‘हेलो मैं स्पेस से शेषन बोल रहा हूं.’ ऐसा इसलिए क्योंकि सामने वाले को समझने में कन्फ्यूजन न हो.

देश के 10 वें मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त हुए

आखिर में वो साल भी आ गया, जिन सालों में एक इतिहास लिखा जाना था. चुनाव आयोग को उसकी शक्तियों का अहसास कराया जाना था और नेताओं के ऊपर नकेल कसनी थी. जो चुनाव में मनमाने ढंग से हार-जीत तय कर रहे थे. 1990 में टीएन शेषन देश के 10 वें मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त हुए. शेषन की नियुक्ति में चंद्रशेखर सरकार में क़ानून और वाणिज्य मंत्री रहे, सुब्रमण्यम स्वामी का बड़ा हाथ था. टीएन शेषन की जीवनी ‘शेषन- एन इंटिमेट स्टोरी’ में एक किस्सा भी दर्ज है. जिसमें लिखा है कि ‘जिस रोज़ सुब्रमण्यम स्वामी शेषन के पास मुख्य चुनाव आयुक्त का प्रस्ताव लाए, शेषन राजीव गांधी से मुलाक़ात करने गए. जिसके बाद राजीव गांधी ने अपनी सहमति दे दी. लेकिन कहा जाता है कि राजीव गांधी भी टीएन शेषन से उतना ही डरते थे, जितना दूसरे नेता.

यह भी पढ़ें- Siyasi Kissa: कौन था वो सांसद, जिसने गिरा दी थी अटल बिहारी की 13 महीने की सरकार?

‘मैं नाश्ते में नेताओं को खाता हूं’

चुनाव आयुक्त बनते ही शेषन के पास वैधानिक शक्तियां आ गई थी. अब उन्हें मंत्रालय या सरकार से डरने की कोई जरुरत नहीं थी. कार्यभार संभालते ही टीएन शेषन ने ऐलान कर दिया कि ‘मैं नाश्ते में नेताओं को खाता हूं.’ जिसका मतलब साफ था, कि चुनाव आयोग अब नेताओं की धौंस नहीं सुनने वाला है.

मजबूरन सरकार को 1993 में फोटो वाली वोटर ID जारी करनी पड़ी

कहा जाता है कि 1991 में हुए लोकसभा चुनाव और उसके बाद विधानसभा चुनाव में टीएन शेषन के नेतृत्व वाले चुनाव आयोग की हनक पूरी तरह से दिखाई दे रही थी. चुनावों में जरा सी गड़बड़ी की खबर मिलते ही, शेषन खुद वहां पहुंच जाते थे, शिकायत मिलते ही चुनाव रद्द कर देते थे, नए सिरे से वोटिंग कराई जाती थी. उन्हीं के दौर में फर्जी मतदान पर लगाम लगाने के लिए वोटर आईडी पर मतदाताओं की फोटो लगाने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था, लेकिन सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जिसके पीछे ये तर्क दिया गया कि इसमें बहुत खर्च होगा, लेकिन सरकार की जिद के आगे टीएन शेषन भी अड़े रहे. उन्होंने कहा, जब तक वोटर आईडी पर फोटो नहीं लगाई जाएगी, देश में एक भी चुनाव नहीं होंगे. इसी के बाद सरकार को मजबूर होकर 1993 में फोटो वाली वोटर ID जारी करनी पड़ी.

यह भी पढ़ें- Siyasi Kissa: क्यों कांग्रेस मुख्यालय के गेट से वापस लौटा दिया गया था पूर्व पीएम नरसिम्हा राव का पार्थिव शरीर

साल 2019 में हुआ था निधन

टीएन शेषन का 1996 में कार्यकाल खत्म हो गया. जिसके बाद उन्होंने 1997 में राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया. हालांकि उन्हें सिर्फ 5 फीसदी वोट मिले. इसके बाद उन्होंने 1999 में कांग्रेस के टिकट पर गांधीनगर से बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के सामने चुनाव में उतरे. यहां भी उन्हें निराशा मिली. टीएन शेषन ने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई चैरिटी में दान दे दिया था. उनके पास आखिरी समय में बस किताबों के अलावा कुछ नहीं था. साल 2019 में लंबी बीमारी के बाद चेन्नई में उनका निधन हो गया.

यह भी पढ़ें- Siyasi Kissa: गन…गोली और गुंडों की बदौलत देश में कब हुई थी पहली बूथ कैप्चरिंग?

-भारत एक्सप्रेस

Shailendra Verma

Recent Posts

Aaj Ka Panchang 12 May 2025: वैशाख माह शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि, जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

Aaj Ka Panchang 12 May 2025: वैशाख माह शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि, स्वाति नक्षत्र और…

40 seconds ago

Aaj Ka Rashifal 12 May 2025: इन पांच राशियों को मिल सकती है बड़ी खुशखबरी, जानिए आज का राशिफल

Aaj Ka Rashifal 12 May 2025: मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह समेत पांच राशियों को…

10 minutes ago

सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हुए विक्रम मिस्री, ओवैसी और कांग्रेस ने किया बचाव!

विक्रम मिस्री को धमकी देने वाले ट्रोलर्स पर ओवैसी और कांग्रेस ने किया समर्थन. ओवैसी…

18 minutes ago

‘नेशनल टेक्नोलॉजी डे’ पर पीएम मोदी ने कहा, ‘यह पोखरण परीक्षण को याद करने का दिन’

पीएम मोदी ने 'नेशनल टेक्नोलॉजी डे' पर वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना की और 1998…

57 minutes ago

युद्ध के समय मौन की ताकत को पीएम मोदी से बेहतर कौन समझ सकता है: विवेक अग्निहोत्री

विवेक अग्निहोत्री ने पीएम मोदी की युद्ध रणनीति की सराहना की. उन्होंने महाभारत और चाणक्य…

1 hour ago