Chaitra Navratri 2024 Havan Samagri Vidhi: चैत्र नवरात्रि का चल रही है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का खास विधान शास्त्रों में बताया गया है. नवरात्रि का समापन अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन और हवन के बाद किया जाता है. कहा जाता है कि इसके बिना नवरात्रि-व्रत का पूरा फल नहीं मिलता. अष्टमी या नवमी को हवन करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है. साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 16 अप्रैल को है. जबकि नवमी 17 अप्रैल को है. ऐसे में अष्टमी और नवमी का शुभ मुहूर्त, हवन सामग्री, मंत्र और विधि जानते हैं.
चैत्र नवरात्रि में हवन के लिए कुछ सामग्रियों का होना बेहद जरूरी है. हवन के लिए कुंड, गाय का गोबर, उपले, पान, सुपारी, लौंग, चंदन की लकड़ी, जायफल, अश्वगंधा, सिंदूर, शहद, गाय का घी, उड़द, कपूर, मुलैठी, आम की सूखी लकड़ी, सूखा नारियल (गोला), फूल माला, जौ, लोबान, नवग्रह की लकड़ी, लाल कपड़ा, शक्कर, चंदन, रोली, अक्षत मौली, गुग्गुल, चावल, काले तिल, फल (5 प्रकार के) इत्यादि.
पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से हो रही है. जबकि अष्टमी तिथि की समाप्ति 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट पर होगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यतानुसार, महा अष्टमी 16 अप्रैल को मनाई जाएगी.
पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी. जबकि नवमी तिथि की समाप्ति 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर होगी. इसलिए नवमी उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, महा नवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन राम नवमी का उत्सव भी मनाया जाएगा.
अष्टमी या नवमी के दिन हवन करने के लिए सबसे पहले उस स्थान को साफ कर गंगाजल से शुद्ध करें जहां हवन करना है. हवन कुंड को भी घोकर शुद्ध करें. इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ी और गोबर के उपले डालें. हवन कुंड में लकड़ियों के बीचोंबीच कपूर की टिकिया डाल दें. हवन की सामग्री और एक पीतल की कटोरी को अपने पास रखें. कटोरी में घी रखें. सूखा नारियल में कलावा बांधकर रखें. इसके बाद हवन कुंड की अग्नि को जलाएं. इसके बाद खास मंत्रों से अग्नि देवता को आहुति दें. हवन की समाप्ति पर नारियल पर पान का पत्ता, खीर और पूड़ी रख दें. इसके बाद कपूर या घी से माता रानी की आरती करें. अंत में हवन स्थाल पर हुई गलतियों के लिए माता रानी से क्षमा मांगें. आरती करने के बाद माता को खीर, पूड़ी और हलवे का भोग लगाएं. आरती के बाद घर में कन्या पूजन का आयोजन करें. कन्या पूजन के बाद कन्याओं को उपहार दें.
ओम् गणेशाय नम: स्वाहा
ओम् गौर्याय नम: स्वाहा
ओम् नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम् दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम् महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम् हनुमते नम: स्वाहा
ओम् भैरवाय नम: स्वाहा
ओम् कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम् स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम् ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम् विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम् शिवाय नम: स्वाहा
ओम् जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च:
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा
ओम् गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर:
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते
ओम् पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते
ओम् शांतिः शांतिः शांतिः
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