Moon Black Spot: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मून मिशन (Moon Mission) के तहत लॉन्च किए गए चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) की सफल लैंडिंग के लिए 23 अगस्त का दिन बेहद ही खास रहने वाला है. चंद्रयान 3 का लैंडर विक्रम (Chandrayaan 3 Vikram Lander) अपने कैमरे LHDAC से चांद की सतह की टोह ले रहा है. इसके जरिए विक्रम चांद की सतह पर सुरक्षित जगह को खोज कर रहा है, ताकि सेफ लैंडिंग की जा सके. वैज्ञानिकों के अनुसार सेफ लैंडिंग के लिए चांद पर मौजूद बड़े-बड़े पत्थर और क्रेटर (गड्ढे) सबसे बड़ी बाधा दिखाई दे रहे हैं. चांद पर दाग को लेकर अब तक कई शोध हो चुके हैं. वहीं चंद्रयान-3 के साथ ही सनातन धर्म में चांद पर दाग को लेकर इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं की चर्चा है.
ज्योतिष के अनुसार इन चीजों के कारक हैं चंद्रमा
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा का विशेष महत्व है. चन्द्र देव को मुख्यत: मन का कारक माना जाता है. इसके अलावा तरल पदार्थ (जल), सुख-शांति और धन-संपत्ति का कारक भी माना जाता है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार यदि कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत रहता है. वहीं चंद्रमा 27 नक्षत्रों के स्वामी और 16 कलाओं में निपुण हैं.
इस वजह से चांद में दाग
कहा जाता है कि चंद्रमा पर कभी कोई दाग नहीं था, लेकिन एक श्राप की वजह से उनका दामन दागदार हो गया. इसे लेकर जो पौराणिक कथा प्रचलित है उसके अनुसार अपने पिता के घर हुए भगवान शिव के अपमान को सहन न कर पाने की वजह से जब माता सती ने यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया तो भगवान शिव ने क्रोधित हो सती के पिता राजा दक्ष का वध करने की ठान ली. भगवान शिव ने जब राजा दक्ष को मारने के लिए उनपर बाण चलाया तो राजा दक्ष मृग का रूप धारण किए चंद्रमा में जाकर अपनी जान बचाने के लिए छिप गए. कहते हैं वही मृग रूप चंद्रमा में धब्बे की तरह दिखाई देता है.
वहीं दूसरी कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने अहिल्या की शादी के लिए एक परीक्षा आयोजित की. निमंत्रण पाकर सभी देवता उस परीक्षा के लिए हाजिर हुए. महर्षि गौतम इस परीक्षा में पास हुए और अहिल्या का विवाह उनके साथ हुआ. स्वर्ग के राज इंद्र देव अहिल्या की सुंदरता पर मोहित थे. ऐसे में वे पृथ्वी लोक में अहिल्या से मिलने चले आए.
इंद्र देव ने इसके लिए एक योजना बनाई जिसमें चंद्रमा भी शामिल थे. योजना के अनुसार महर्षि गौतम को भ्रमित करने के लिए चंद्र देव ने अर्धरात्रि को मुर्गे की बांग दी. सवेरा समझ गौतम महर्षि गंगा तट पर स्नान करने चले गए. इंद्र देव ने गौतम महर्षि का रूप धारण कर उनके घर में प्रवेश किया. चंदमा घर के बाहर पहरा देने लगे. ऋषि गौतम को गंगा तट पर पहुंच कुछ संदेह हुआ तब गंगा मैया ने प्रकट होकर सारी बात बताई.
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कुटिया के बाहर चंद्रमा को बैठे देख क्रोध वश महर्षि गौतम ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि राहू की कुदृष्टि उन पर सदा बनी रहेगी. कहा जाता है कि इसी श्राप के कारण चंद्रमा को ग्रहण लगता है तो महर्षि गौतम द्वारा कमंडल से चंद्रमा पर प्रहार करने से चंद्रमा में दाग है.
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