23 April 2025 Panchang: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि होगी. इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र और शुक्ल योग का संयोग रहेगा. बुधवार को अभिजीत मुहूर्त नहीं होगा, और राहुकाल दोपहर 12:12 बजे से 1:47 बजे तक रहेगा. चंद्रमा मकर राशि में संचरण करेंगे.
हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग भी कहते हैं, समय और ब्रह्मांडीय घटनाओं की सटीक गणना का एक प्रणाली है. यह पांच मुख्य अंगों से मिलकर बना है: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण. नीचे इस दिन का विस्तृत पंचांग दिया गया है, जिसमें सूर्योदय, सूर्यास्त, ग्रहों की स्थिति और अन्य जानकारी शामिल है.
23 अप्रैल 2025 का पंचांग विवरण इस प्रकार है: इस दिन वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि रहेगी, जो शाम 4:37 बजे तक रहेगी. धनिष्ठा नक्षत्र सुबह 11:55 बजे तक प्रभावी होगा. प्रथम करण विष्टि होगा, जो शाम 4:37 बजे तक रहेगा, जबकि द्वितीय करण बावा अगले दिन सुबह 3:41 बजे तक रहेगा. दिन बुधवार का होगा, और शुक्ल योग शाम 6:38 बजे तक रहेगा. सूर्योदय सुबह 5:51 बजे और सूर्यास्त शाम 6:33 बजे होगा. चंद्रमा मकर राशि में संचरण करेंगे. राहुकाल दोपहर 12:12 बजे से 1:47 बजे तक रहेगा. विक्रमी संवत् 2082 और शक संवत् 1947 (विश्वावसु) होगा. इस दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं होगा.
तिथि: तिथि वह समय है जो चंद्रमा के रेखांक को सूर्य के रेखांक से 12 अंश आगे बढ़ने में लगता है. एक चंद्र मास में 30 तिथियां होती हैं, जो दो पक्षों में विभाजित हैं: शुक्ल पक्ष (बढ़ता चंद्र, पूर्णिमा तक) और कृष्ण पक्ष (घटता चंद्र, अमावस्या तक).
तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, और अमावस्या/पूर्णिमा.
नक्षत्र: नक्षत्र आकाश में तारों के समूह हैं, जिनकी संख्या 27 है और इन्हें नौ ग्रहों का स्वामित्व प्राप्त है.
27 नक्षत्रों के नाम: अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती.
वार: वार का अर्थ दिन से है. एक सप्ताह में सात वार होते हैं, जो ग्रहों के नाम पर हैं: सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार.
योग: योग भी 27 प्रकार के होते हैं, जो सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरी की स्थितियों पर आधारित हैं.
27 योगों के नाम: विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र, वैधृति.
करण: एक तिथि में दो करण होते हैं, एक पूर्वार्ध में और एक उत्तरार्ध में. कुल 11 करण हैं: बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग, किस्तुघ्न. विष्टि करण को भद्रा कहते हैं, जिसमें शुभ कार्य वर्जित हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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