Mystery Of Paatal lok: रामचरितमानस और कई धार्मिक ग्रंथों में कई जगहों पर पाताल लोक (Paatal lok) का जिक्र मिलता है, माना जाता है कि धरती के नीचे कहीं पताल लोक बसा हुआ है. मौजूदा दौर में भी कई लोगों ने इसे खोजने का प्रयास किया है.
वैज्ञानिकों के अलावा आर्कियोलॉजिस्ट और धर्म के जानकार भी पाताल लोक की खोज में लगे हुए हैं. माना जाता है कि पाताल लोक (Paatal lok) धरती की सतह के काफी नीचे बसा हुआ है.
वैसे काल्पनिक तौर पर अगर हम पाताल लोक के बारे में सोचें तो ऐसी जगह का ख्याल आता है, जहां खतरनाक जीव जंतु और दुष्ट आत्माएं निवास करती हैं.
रामचरितमानस में भी बाली को पाताल लोक का राजा माना गया है. इसके अलावा हिंदू धर्म में कई बार इस तथ्य का जिक्र आता है की धरती से लेकर पाताल तक केवल इन्हीं (अलग-अलग) राजा का राज था. हाल में ही हुई कुछ खुदाई में निकली गुफाओं को देखकर माना जाता है कि वहां से पाताल लोक का रास्ता जा सकता है.
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हकीकत में है पताल लोक !
भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बताया था. और ऐसा माना जाता था कि वह सुतल नामक पाताल के राजा थे, जोकि वर्तमान में केरल राज्य के नीचे पड़ता है.
आपने पृथ्वी पर पाताल द्वार, पाताल भैरवी, पताल दुर्ग, पातालपानी, पाताल भुवनेश्वर आदि कई ऐसे नामों को सुना होगा, जिससे इस बात का अंदाजा मिलता है कि पाताल लोक (Paatal lok) कोई काल्पनिक जगह नहीं बल्कि हकीकत हो सकता है.
आपने यह भी सुना होगा कि नर्मदा नदी पताल नदी है. इससे एक अंदाजा यह भी लगाया जाता है कि धरती पर कुछ ऐसी जगहें हैं. जहां से पाताल लोक में पहुंचा जा सकता है.
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रहस्य तब और बढ़ जाता है जब संसार के अलग-अलग देशों में भी पाताल लोक से जुड़ी कुछ बातों का पता चलता है. पृथ्वी पर कुछ ऐसी गुफाएं भी मिली हैं, जिनका एक सिरा तो दिखता है, लेकिन दूसरे सिरे का अंत कहां पर है यह पता ही नहीं चलता.
इन गुफाओं में पिथौरागढ़ की पाताल भुवनेश्वर गुफा और जोधपुर के पास स्थित एक गुफा ऐसी ही है. पिथौरागढ़ में तो देवी देवताओं की कई मूर्तियां भी बनी हुई है. इन मूर्तियों के पास ही एक ऐसा खंभा है, जोकि लगातार बढ़ते ही जा रहा है.
क्या बंगाल में हैं पाताल लोक के निवासी ?
इसके अलावा माना जाता है कि बंगाल में भी कुछ रहस्यमई जगहें ऐसी हैं जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है. बंगाल की खाड़ी के आस पास ही नाग लोक होने का जिक्र मिलता है.
अगर हम यहां जाएं तो पाएंगे कि यहां प्राचीन काल से ही एक नाग संप्रदाय नामक प्रजाति भी रहती है. शायद यह संप्रदाय पुरातन पाताल लोक का निवासी हो.
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देवताओं ने रखा था पाताल में अमृत
समुद्र किनारे के जिन इलाकों में दूर तक रेगिस्तान का बसेरा रहता था, प्राचीन काल में उसे भी पताल माना जाता था. पाताल लोक के विषय में एक और बात यह भी मानी जाती है कि देवताओं ने राक्षसों का खात्मा करते हुए जब अमृतपान किया था, तब उन्होंने अमृत पीने के बाद उसके बचे हुए भाग को पाताल में ही रख दिया था.
इसलिए जमीन के नीचे से हमेशा अग्नि निकलती रहती है. यही कारण है कि से शैवालों के रूप में धरती के नीचे आग जलती रहती है. धार्मिक ग्रंथो, मिथकों और घटनाओं का एक दूसरे से तारतम्य जोड़ने पर ऐसा लगता है कि पाताल लोक धरती पर कहीं न कहीं तो वास्तव में है.
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