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Tulsi Vivah 2024 Vidhi: घर पर इस आसान विधि से करें शालीग्राम और तुलसी का विवाह, जानें नियम

Tulsi Vivah 2024 Vidhi in Hindi: वैसे तो तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि को होता है, लेकिन इस साल देवउठनी एकादशी (12 नवंबर) पर ही तुलसी विवाह का शुभ संयोग बना है. पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं तो उनके शालीग्राम रूप का विवाह तुलसी के साथ संपन्न कराया जाता है. कहा जाता है कि कार्तिक मास में तुलसी विवाह संपन्न कराने से शादीशुदा जिंदगी खुशहाल रहती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि घर पर तुलसी विवाह किस तरह करें और इसके लिए आसान विधि क्या है.

तुलसी विवाह विधि | Tulsi Vivah Vidhi

प्रदोष काल में पूरी तैयारी करने के बाद तुलसी विवाह की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. घर पर तुलसी विवाह के लिए एक छोटी चौकी लें. उस चौकी को घर के आंगन या कमरे के बीचोंबीच रखें. इसके बाद उस चौकी पर तुलसी का पौधा (गमला सहित) स्थापित करें. इतना करने के बाद तुलसी के पत्तों को साफ करें. इसके साथ ही तुलसी पर चढ़ा हुआ पुराना फूल इत्यादि को भी हटा दें. अब तुलसी माता का दुल्हन की तरह श्रृंगार करें. तुलसी की टहनियों पर लाल रंग की चूड़ियां, गजरा, हार, बिंदी, बिछिया और सिंदूर समेत तमाम श्रृंगार की सामग्रियां अर्पित करें. तुलसी माता को फूलों की माला पहनाएं. इसके बाद गन्ने और केले के पत्तों से मंडप को सजाएं. मंडप पर फूलों की माला, झालर इत्यादि चीजों से सजाएं.

तुलसी जी का श्रृंगार करने के बाद चौकी पर अष्टदल कमल बनाकर उस पर भगवान विष्णु के विग्रह रूप शालीग्राम को स्थापित कर उनका श्रृंगार करें. इसके बाद एक कलश स्थापित करें. शालीग्राम भगवान को तुलसी जी के दाईं ओर रखें. फिर, तुलसी माता और शालीग्राम भगवान को दूध और हल्दी अर्पित करें. अब, शालीग्राम और तुलसी माता को चंदन और रोली का तिलक लगाएं. इस विधि के बाद उन्हें फल, फूल, धूप, दीप समेत सभी पूजन सामग्रियां अर्पित करें. इसके बाद विवाहित पुरुष शालीग्राम को उठाकर तुलसी माता की 7 बार परिक्रमा करें. इसके बाद भगवान विष्णु और तुलसी माता की आरती करें. इतना करने के बाद मंगलाष्टक और विवाह के गीत गाएं. पूजन के अंत में भगवान विष्णु और माता तुलसी से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें.

इस बात का रखें खास ख्याल

ध्यान रहे कि तुलसी विवाह के लिए पति-पत्नी का एकसाथ होना जरूरी है. कहा जाता है कि कुंवारी कन्याओं और कुंवारे लड़कों को तुलसी विवाह नहीं कहा सकते हैं.

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Dipesh Thakur

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