आस्था

आज से शुरु होने वाले हिंदू नववर्ष के आरंभ में करें मां दुर्गा का स्वागत, जानें शुभ मुहूर्त और खास बातें

Nav Samvatsar 2080: अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर साल 01 जनवरी से नए साल की शुरुआत होती है. वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार इसके नए साल के पहले महीने को चैत्र माह कहा जाता है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से इसके पहले महीने की शुरुआत होती है. इस साल 2023 में हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि जो कि इस बार 22 मार्च को पड़ रही है से इसकी शुरुआत होगी. इस दिन विक्रम संवत 2080 का आरंभ होगा.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस नए संवत्सर का नाम नल होगा. हिंदू धर्म में इसके नववर्ष के कोई न कोई अधिपति होते हैं. जिनका प्रभाव पूरे साल रहता है.  इस बार भी हिंदू नववर्ष के अधिपति बुध ग्रह हैं और इसके मंत्री भोग विलास के देवता शुक्र ग्रह होंगे. वहीं नवसंवत्सर से नवरात्र का भी आरंभ हो जाएगा. आइए जानते हैं हिंदू नए साल 2080 के बारे में विशेष बातें.

हिन्दू नववर्ष के पहले दिन करें मां दुर्गा की पूजा

हिन्दू नव वर्ष के आरंभ से ही मां दुर्गा के चैत्र माह में पड़ने वाले नवरात्रि की भी शुरुआत हो जाती है. हिंदू नए साल का पहला दिन और यह नवरात्रि पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक कार्यों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. चैत्र प्रतिपदा से आरंभ होने वाली चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है. पूरे 9 दिनों तक भक्त मां की भक्ति में सराबोर रहते हैं. आइए जानते हैं नववर्ष के पहले दिन के कुछ शुभ मुहूर्त के बारे में.

हिंदू नव वर्ष 2023 की शुरुआत में यह मुहूर्त हैं शुभ

नए संवत्सर की शुरुआत 21 मार्च 2023 को रात में 10 बजकर 52 मिनट से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से हो रही है, वहीं इसका समापन अगले दिन 22 मार्च 2023 को रात में 8 बजकर 20 मिनट पर होगा. अगर बात करें चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त की तो 22 मार्च 2023 को सुबह 6:29 से लेकर सुबह 7:39 तक का समय इसके लिए शुभ है.

इसे भी पढ़ें: काली सरसों से जगाएं अपने सोए हुए भाग्य को, कैसी भी समस्या हो इस उपाय से होगी दूर

हिन्दू नव वर्ष के देश के अलग-अलग हिस्सों में नाम

हिंदू नव वर्ष को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. सिंधि समाज के लोग हिंदू नववर्ष को ‘चेटी चंड’ के नाम से जानते हैं. वहीं महाराष्ट्र में इसे मराठी नववर्ष के रूप में मनाया जाता है और लोग इस ‘गुड़ी पड़वा’ के नाम से जानते हैं. वहीं दक्षिण भारत के तेलंगाना कर्नाटक, आंध्र प्रदेश  में इसे ‘उगादी’ के नाम से जाना जाता है.

गोवा और केरल में रहने वाले कोंकणी समुदाय के लोग इसे ‘संवत्सर पड़वो’ के नाम से जानते हैं. बात करें कश्मीर की तो वहां भी इसे कश्मीरी नवरेह के नाम से नववर्ष के रूप में मानाया जाता है. वहीं पूर्वोत्तर भारत में मणिपुर में यह एक त्योहार का रूप ले लेता है और इसे सजिबु नोंगमा पानबा के पर्व के रूप में मनाया जाता है.

Rohit Rai

Recent Posts

Lok Sabha Election 2024: दिलचस्प हुआ बदायूं का रण, जीत पर लगने लगी शर्त

2024 Parliamentary Election: पांचाल देश की राजधानी बेदामऊ का नाम बदलते वक्त के साथ बदलकर…

4 hours ago

कांग्रेस ने दलितों पिछडों के अधिकार को छीनने का किया अपराध : डॉ दिनेश शर्मा

अहमदनगर,महाराष्ट्र: राज्यसभा सांसद और यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने आरक्षण को लेकर…

4 hours ago

‘मेरा परिवार आप हैं और मेरे वारिस भी आप…’, यूपी में बोले PM मोदी— मुझे आपका, आपके क्षेत्र का और देश का विकास करना है, VIDEO

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने…

4 hours ago

ये है दुनिया की सबसे अनोखी शराब, जिसमें पाया जाता है अंतरिक्ष का स्वाद, कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान

एक शराब आजकल काफी चर्चा में है, जिसे ‘शूटिंग स्टार वोदका’ नाम दिया गया है.…

5 hours ago