Stone Benefits in Astrology: अक्सर ही ज्योतिषियों द्वारा कुंडली के अनुसार ग्रहों की स्थिति को देखते हुए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. माना जाता है कि कई रत्नों का असर इतना व्यापक होता है कि धारण करते ही व्यक्ति के जीवन में बदलाव आने लगते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ लोग किसी आम इंसान की सलाह या दूसरों की देखादेखी भी ऐसे रत्न धारण कर लेते हैं, जो जातक पर अपना विपरीत असर दिखाने लगते हैं.
इनका असर इतना घातक होता है कि व्यक्ति की जान पर बन आती है. ऐसा ही एक रत्न है नीलम. जो इंसान को आसमान की बुलंदियों पर भी पहुंचा सकता है तो अर्श से फर्श पर भी ला सकता है. इसलिए इसके बारे में यह जानना जरूरी कि यह आपके लिए शुभ है या अशुभ हैं.
माना जाता है कि शनि जैसे ताकतवर ग्रह से लाभ के लिए नीलम को धारण किया जाता है. बड़े से बड़े उद्योगपतियों, अभिनेताओं और अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े प्रभावशाली लोगों को इसे पहने हुए देखा जा सकता है. लेकिन अगर कोई बिना अपनी कुंडली का ज्योतिषिय विश्लेषण करवाए इसे पहनता है तो यह विपरीत असर दिखाना शुरु कर देता है. जिसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति को भारी क्षति उठानी पड़ती है.
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो नीलम पहनने की सलाह कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार दी जाती है. कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति होने पर या इसकी महादशा के दुष्प्रभावों से बचने के लिए इसकी सलाह दी जाती है. इसके अलावा शनि की साढ़े साती से परेशान जातकों को भी इसे पहने देखा जा सकता है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि कुडली में शनि के चतुर्थ, पंचम, दशम या एकादश भाव में होमे पर भी नीलम रत्न को चांदी की अंगूठी बनवाकर धारण किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि आप किसी अच्छे ज्योतिष से भली-भांति सलाह मशवरा कर लें. सामान्य जानकारी के आधार पर इसे कतई न पहनें.
अगर आपकी कुंडली में शनि अनुकूल स्थिति में नहीं है तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नीलम को धारण नहीं करना चाहिए. कुंडली में छठे, आठवें और बारहवें भाव में शनि-मंगल और शनि-राहु के मौजूद होने पर भी इसे नहीं पहनना चाहिए.
कहते हैं कि नीलम रत्न धारण करते ही तेजी से अपना प्रभाव दिखाने लगता है. यदि यह आपके लिए शुभ फलदायक है तो कार्यक्षेत्र में तरक्की के नए विकल्प सामने आने लगते हैं. यदि आप किसी व्यवसाय से जुड़े हैं तो वह तेजी से फलता फूलता है. समाज में भी व्यक्ति को सम्मान की प्राप्ति होती है. सेहत अच्छी रहती है और सभी तरह की बाधाएं दूर होने लगती हैं.
इसकी अशुभता की स्थिति में विपरीत परिणाम देखने को मिलते हैं और बिना वजह के लड़ाई झगड़े होने के साथ कार्यों में विघ्न बाधाएं आने लगती हैं. घर के सदस्यों को स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें भी आने लगती हैं.
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