पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर सहित कई स्थानों पर प्रदूषण खतरनाक रूप लेता जा रहा है. पंजाब और हरियाणा के खेतों में पराली जलाने से देश की राजधानी में तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. बिते दिनों केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि उनका मंत्रालय पराली से सड़क बनाने की टेक्नोलॉजी पर काम करने की योजना बना रहा है. इसके तहत पराली का इस्तेमाल बायो-बिटुमन बनाने के लिए होगा.
इस बात की जानकारी नितिन गडकरी ने मध्य प्रदेश में सड़क परियोजनाओं की आधारशिला के कार्यक्रम में दी है उन्होंने कहा कि यह टेक्नोलॉजी अगले 2-3 महीनों में आ सकती है. गडकरी ने बताया कि देश के किसान सिर्फ अन्नदाता ही नहीं, बल्कि ऊर्जादाता भी हैं, हमारे किसान ऊर्जा पैदा करने में भी सक्षम हैं. वे सड़क बनाने के लिए बायो-बिटुमन और ईंधन बनाने के लिए एथेनॉल का इस्तमाल भी कर सकते हैं.
क्या है बिटुमन?
बिटुमेन को तारकोल भी कहा जाता है. यह काले रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है. ये कच्चे पैट्रोलियम से प्राप्त होता है. सड़कें बनाने में इसका बेहद इस्तमाल किया जाता है. यह चिपचिपा पदार्थ बजरी और पत्थरों को चिपकाकर रखता है.
पराली से बनेगा बायो-बिटुमन
नितिन गडकरी ने कहा कि पराली से बायो-बिटुमन खेत में ही बनाया जा सकता हैं. इसको बनाने के लिए ट्रैक्टर के पीछे एक मशीन लगाई जाएगी. इसी मशीन के जरिए बायो-बिटुमन बनया जाएगा. बायो-बिटुमेन का इस्तेमाल सड़क बनाने में किया जाता है. गडकरी ने बताया कि नई तकनीक हम दो से तीन महीनों में लांच करने वाले हैं.
प्रदूषण से निपटने में कारगर
नितिन गडकरी ने बताया कि देश में बढ़ते प्रदूषण से निपटना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं हैं. केंद्र सरकार, राज्य सरकार, नगर निगम और सभी किसान मिलकर कोशिश करेंगे तो इससे छुटकारा आसानी से मिल सकता है. हमें प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए.
–भारत एक्सप्रेस
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