उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के अभ्यर्थियों के प्रयागराज (Prayagraj) में किए गए विरोध प्रदर्शन को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा/BSP) प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा/SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यूपी के पास एक समय में परीक्षा कराने की बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव है कि पीसीएस आदि जैसी विशिष्ट परीक्षाएं दो दिन में करानी पड़ रही हैं. गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई आदि की जबरदस्त मार झेल रहे छात्रों के प्रति सरकार का रवैया क्रूर नहीं, बल्कि सहयोग एवं सहानुभूति का होना चाहिए. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए है.
मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस तथा आरओ-एआरओ की भी प्रारंभिक परीक्षा-2024 एक समय में कराने में विफलता को लेकर आक्रोशित छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से उत्पन्न स्थिति की खबर का व्यापक चर्चा में रहना स्वाभाविक है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘क्या यूपी के पास एक समय में परीक्षा कराने की बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव है कि पीसीएस आदि जैसी विशिष्ट परीक्षा दो दिन में करानी पड़ रही है. पेपर लीक पर रोक व परीक्षाओं की विश्वसनीयता अहम मुद्दा है, जिसके लिए एक बार में ही परीक्षा व्यवस्था जरूरी है. सरकार इस ओर ध्यान दे.’
मायावती ने आगे लिखा, ‘गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि की जबरदस्त मार झेल रहे छात्रों के प्रति सरकार का रवैया क्रूर नहीं बल्कि सहयोग एवं सहानुभूति का होना चाहिए. इसको लेकर सरकार खाली पड़े सभी बैकलाग पर जितनी जल्दी भर्ती की प्रक्रिया पूरी करे उतना बेहतर. लोगों को रोजी-रोजगार की सख्त जरूरत है.’
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी एक्स पर एक लंबा पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, ‘योगी बनाम प्रतियोगी छात्र हुआ माहौल! आज यूपी के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की जुबान पर जो बात है वो है: ‘नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं’! उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा ‘नौकरी’ नहीं जिनका एजेंडा! नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार!! भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है!!! ‘अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए!!!’
उन्होंने कहा, ‘भाजपा के लोग, जनता को रोजी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई सांप्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें. सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है. भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है. यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवारवाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं.’
अखिलेश ने कहा, ‘भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है. भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है. जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी. अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोजर चलाएगी. भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफी का बुलडोजर चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर, अपने घरों में छुपकर नहीं बैठना पड़ता.’
इस मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा नेतृत्व को छात्रों के मुद्दों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को छात्रों के मुद्दों पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उन्हें अपने शासनकाल में हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार को याद रखना चाहिए. पुलिस अधिकारियों को संयम से काम लेना चाहिए और छात्रों पर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘प्रतियोगी छात्रों से अनुरोध है कि वे अपनी समस्याओं को शांतिपूर्वक उठाएं और सपा की राजनीति का शिकार न बनें. न्याय की आपकी लड़ाई में सरकार और मैं हमेशा आपके साथ हैं. पूरा प्रदेश जानता है कि 2012 से 2017 तक सपा सरकार के दौरान क्या हुआ था.’
मालूम हो कि समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षा और संभागीय सिविल सेवा (PCS) प्रारंभिक परीक्षा अलग-अलग तिथियों और कई पालियों में आयोजित करने के फैसले के खिलाफ हजारों उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के अभ्यर्थियों ने सोमवार (11 नवंबर 2024) को प्रयागराज में आयोग मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
परीक्षाएं एक ही दिन एक ही पाली में कराने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को आयोग के गेट नंबर 2 और 3 पर धरना देने से रोका गया, जिसके बाद पुलिस से उनकी झड़प हो गई. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जो पास के चौराहे पर एकत्र हो गए थे.
फरवरी 2024 में आयोजित आरओ/एआरओ (प्रारंभिक) परीक्षा के लिए 10 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन पेपर लीक होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे रद्द कर दिया था.
छात्रों के मुताबिक, अगर ये परीक्षाएं अलग-अलग दिनों और पालियों में आयोजित की गईं तो पेपर में पारदर्शिता की कमी हो सकती है और धांधली की संभावना बढ़ सकती है. एक ही दिन परीक्षा आयोजित करने से निष्पक्षता और समान अवसर सुनिश्चित होंगे. छात्रों का कहना है कि आयोग ने पहले एक शिफ्ट और एक ही दिन में परीक्षा आयोजित की थी. अब दो शिफ्ट में दो दिन परीक्षा आयोजित करना उचित नहीं है, क्योंकि हाल ही में पेपर लीक होने के कारण परीक्षा की पारदर्शिता और सरकारी एजेंसियों की कार्यकुशलता पर गंभीर संदेह है.
-भारत एक्सप्रेस
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