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12 मार्च 1993: जब बम धमाकों से दहल उठी थी मुंबई, मंजर यादकर आज भी कांप जाती है लोगों की रूह

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई कई बार आतंकी वारदातों का शिकार हुआ है और जब किसी आतंकवादी घटना की याद आती है तो सबसे पहले हमें 12 मार्च 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों की गूंज जेहन में कौंध जाती है.

उस रोज सिलसिलेवार तरीके से हुए 13 बम धमाकों से यह शहर दहल उठा था. इन धमाकों में 257 लोग को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और 713 लोग घायल हुए थे. आज भी मुंबईवासी जब इन धमाकों को याद करते हैं तो उनका रोम-रोम सिहर उठता है.

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में हुआ था पहला धमाका

12 मार्च, 1993 को शुक्रवार का दिन था. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में आम दिनों की तरह हलचल थी, तभी दोपहर के 1:30 बजे बीएसई की 28 मंजिला इमारत का बेसमेंट एक जोरदार धमाके से दहल उठा. इस हमले में 50 लोग मारे गए, लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी.

इसके आधे घंटे बाद दूसरा धमाका एक गाड़ी में हुआ और फिर एक के बाद एक धमाकों का सिलसिला शुरू हुआ. दो घंटे के अंदर पूरे मुंबई में 12 जगहों पर 13 ब्लास्ट हुए थे.

कहां-कहां हुआ था ब्लास्ट?

इन एक के बाद एक धमाकों में 257 लोग को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और 713 से अधिक लोग घायल हुए थे. आज भी मुंबईवासियों के जेहन में उस खौफनाक मंजर की यादें ताजा हैं. ये धमाके एयर इंडिया बिल्डिंग, प्लाजा सिनेमा, सहारा हवाई अड्डा, शिवसेना भवन जैसी प्रमुख जगहों पर हुए थे.

आज तक पकड़ा नहीं गया मुख्य आरोपी

ये सभी धमाके मुंबई में हुए दंगों के कुछ समय बाद हुए थे और इन्हें मुबई दंगों का बदला कहा गया था. इस हमले से पूरी मुंबई हिल गई थी. पुलिस के मुताबिक ये हमले भारत से बाहर रहने वाले मोस्ट वॉन्टेड आतंकी दाउद इब्राहिम ने करवाए थे.

टाइगर मेमन इन धमाकों की साजिश रचने वालों से एक है. आज भी इंटरपोल और सीबीआई को उसकी तलाश है. विस्फोटों में मुख्य आरोपी के रूप में मेमन की भूमिका की पुष्टि मामले में अन्य आरोपियों की सजा के बाद आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) के तहत गठित एक विशेष अदालत ने की थी.

दाउद और टाइगर को आज तक पकड़ा नहीं जा सका है. दोनों के पाकिस्तान में होने की बात कही जाती है, लेकिन पाकिस्तान ने इस बात को कभी स्वीकार नहीं किया है.

याकूब मेनन को हुई थी फांसी

इस मामले में 12 आरोपियों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई ​जिसमें याकूब मेमन का भी नाम था, 2015 में उसे फांसी की सजा हुई. याकूब मेमन मुख्य आरोपी टाइगर मेमन का भाई था.

साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी मुख्य दोषियों में से एक याकूब मेमन की मौत की सजा को बरकरार रखा, जबकि 10 अन्य की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. मोहम्मद इकबाल, जिन्हें मौत की सजा दी गई थी, की जेल में रहने के दौरान मौत हो गई थी.

इससे पहले साल 2006 में एक विशेष आतंकवाद विरोधी अदालत ने विस्फोटों के लिए 100 लोगों को दोषी ठहराया था. इनमें से 12 दोषियों को मौत की सजा दी गई थी और 20 अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी.

इन धमाकों के एक और आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को टाडा अदालत ने बीते फरवरी माह में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.

अभिनेता संजय दत्त का नाम आया था

इन धमाकों में जब बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त का नाम सामने आया तो लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ. उनके घर पर अवैध रूप से एक 9 एमएम पिस्टल और एक एके-56 राइफल पाई गई थी, जो इन बम विस्फोटों के लिए भारत लाए गए हथियारों और विस्फोटकों की खेप का हिस्सा थे. 2006 में उन्हें मुंबई पर हमला करने वाले हमलावरों से हथियार खरीदने का दोषी ठहराया गया था.

19 अप्रैल 1993 को संजय को टाडा के तहत गिरफ्तार किया गया था. नवंबर 1993 में संजय सहित 189 आरोपियों के खिलाफ इस मामले में 90,000 पेज की प्राथमिक चार्जशीट दायर की गई थी.

अक्टूबर 1995 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने तक उन्होंने 18 महीने जेल में बिताए था. बाद में उन्हें दिसंबर 1995 में फिर से गिरफ्तार किया गया और अप्रैल 1997 में एक बार फिर पुलिस जमानत शर्तों पर रिहा कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 ने फैसला सुनाया था कि अभिनेता संजय दत्त को इन बम विस्फोटों के संबंध में जेल वापस जाना होगा. वह 2007 से जमानत पर थे, जब उन्होंने छह साल की अपनी मूल सजा के खिलाफ अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को घटाकर पांच साल कर दिया था.

राकेश मारिया पर जांच की जिम्मेदारी

धमाकों की जांच पुलिस के लिए इतनी आसान नहीं थी. जांच की जिम्मेदारी मुंबई पुलिस के तेज-तर्रार पुलिस अफसर राकेश मारिया को सौंपी गई थी. उस समय मारिया डीसीपी ट्रैफिक हुआ करते थे. जांच के लिए 150 से ज्यादा टीमें बनाई गईं, जिन्होंने अलग-अलग शहरों में सबूत जुटाए. 1993 में डीसीपी (ट्रैफिक) के रूप में उन्होंने इन धमाकों के मामले को सुलझाया था. बाद में व​ह मुंबई पुलिस के डीसीपी (अपराध) और फिर जॉइंट पुलिस कमिश्नर (अपराध) के पदों पर भी रहे थे.

चार दोषी एक ही परिवार के थे

मुंबई की टाडा अदालत ने जिन लोगों को दोषी ठहराया था, उनमें से चार तो एक ही परिवार के थे. इनके नाम थे याकूब मेमन, यूसुफ मेमन, ईसा मेमन और रुबीना मेमन. टाइगर इनका ही भाई है, जो कभी पकड़ा नहीं जा सका. टाइगर, याकूब, यूसुफ और ईसा कभी क्रिकेटर रहे अब्दुल रज्जाक मेमन के बेटे थे.

इसे भी पढ़ें: Citizenship Amendment Act क्या है, यह क्यों लाया गया और इसके विरोध में कौन हैं?

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