संसद ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर 2019 में विधेयक पारित किया था. अब कानून लागू होगा.
CAA In India: देश में एक बार फिर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की चर्चा शुरू हो गई है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इसकी घोषणा कर चुके हैं. पिछले दिनों शाह ने अपने भाषणों में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) पर कहा कि यह कानून 2019 में पारित हुआ था. अब इस संबंध में नियम जारी करने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू किया जाएगा.
नागरिकता संशोधन कानून (/सीएए) के बारे में बहुत-से लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सरकार का कहना है कि ये कानून लागू होना जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर जुल्म हुआ..अत्याचारों से बचने के लिए वहां के हिंदू, बौद्ध, सिख और ईसाइयों ने भारत में शरण ली. हालांकि, बरसों पहले भारत में आने पर भी उनके पास भारतीय नागरिकता नहीं है, जिसके कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता.
पाकिस्तान से विस्थापित हुए हजारों हिंदू आज भी भारत में अछूतों-वंचितों के रूप में जीवन जी रहे हैं…उनके लिए यह नागरिकता का कानून है, जिसे बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2019 में नागरिकता कानून के प्रावधानों में कुछ संशोधन किया, और नियमों को आसान बनाया. नए प्रावधान के तहत हिंदू, बौद्ध, सिख और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और इसमें अड़चनें नहीं आएंगी.
2019 में पारित हुआ था बिल, अब जल्द होगा कानून पर अमल
जब से CAA लागू करने का ऐलान हुआ है, विपक्षी दलों विशेषकर इस्लामिक संगठनों की ओर से इस कानून का विरोध किया जा रहा है. संसद ने दिसंबर 2019 में CAA का बिल पास किया. हालांकि, राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय की ओर से खासा विरोध किया गया. 2020 की शुरूआत में दिल्ली-झारखंड एवं कुछ अन्य राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए. केंद्र सरकार CAA को लागू करने का मन बना चुकी थी, मगर तभी कोरोना महामारी फैलने लगी.
‘दुनिया की कोई ताकत हमें इसे लागू करने से नहीं रोक सकती’
हाल में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘सीएए देश का कानून है, दुनिया की कोई ताकत हमें इसे लागू करने से नहीं रोक सकती. लोकसभा चुनाव से पहले इस कानून को अमल में आना है, और इसमें किसी को कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि जल्द ही इसका नॉटिफिकेशन जारी किया जाएगा.
‘मुस्लिम समझ जाएं, इससे किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी’
अमित शाह ने CAA के विरोध में होने वाले संभावित प्रदर्शनों के सवाल पर कहा कि कांग्रेस द्वारा मुस्लिम भाइयों को भड़काया गया, उन्हें भ्रमित किया गया. मैं बताना चाहता हूं कि CAA से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. यह सिर्फ नागरिकता देने का कानून है.
बड़ा सवाल- आखिर मुसलमान क्यों कर रहे CAA का विरोध
देश में कई इस्लामिक संस्थाएं हैं, जिन्होंने खुलेआम CAA का विरोध किया है. भाजपा सरकार के विरुद्ध बोलते रहे मुस्लिम नेताओं का कहना है कि उन्हें किसी भी कीमत पर ये कानून मंजूर नहीं है. कइयों का मानना है कि भाजपा इस तरह के कानून से भेदभाव को बढ़ावा दे रही है और मुस्लिमों को मुल्क से बाहर करना चाहती है.
जान बचाकर भारत आए हिंदुओं को आस- जल्द मिलेगा न्याय
केंद्र सरकार की घोषणा के बाद से हिंदू समुदाय के उन लोगों की बरसों पुरानी आशाएं जाग गई हैं, जो बंटवारे के वक्त या उसके बाद पाकिस्तान से जान बचाकर भारत आए थे. हजारों की तादाद में हिंदू, सिख और बौद्ध अफगानिस्तान से भी आए, हालांकि भारत में उन्हें नागरिकता का प्रमाण-पत्र नहीं मिल सका. ऐसे हजारों लोग नट-भाट और भिखारियों की तरह जीवन-यापन को मजबूर हैं. अब उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है.
मतुआ समुदाय के लोग बांग्लादेश से भारत आए, ऐसे करोड़ों हैं
बांग्लादेश से आए मतुआ समुदाय के लोग खुद को हिंदू मानते हैं, भारत में इनकी आबादी 3-4 करोड़ है, लेकिन लंबे समय से शरणार्थियों के रूप में रह रहे हैं. इन लोगों को सरकार भारतीय नागरिकता देगी. इनमें से लगभग 2 करोड़ लोग अकेले पश्चिम बंगाल प्रांत में रह रहे हैं, जो बांग्लादेश से सटा हुआ है. CAA लागू होने पर इन्हें नागरिकता मिल जाएगी, इसके लिए दस्तावेज देने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
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#WATCH | On CAA, Assam CM Himanta Biswa Sarma says, “I support CAA. But at the same time, many people in Assam oppose it. We have to accommodate both points of view. We should not criticise anyone for supporting or criticizing CAA. Those who are opposing CAA should go to the… pic.twitter.com/Bs6AA17Vkf
— ANI (@ANI) March 2, 2024
असम में भी लाखों शरणार्थी, CM ने कहा- CAA लागू करेंगे
CAA पर असम के सीएम हिमंत बिस्वा शर्मा कहते हैं, ‘यह देश का कानून है. जो लोग नागरिकता पाने के हकदार हैं, केंद्रीय गृह मंत्रालय जांच करके नागरिकता जारी करेगा. नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह केंद्र सरकार का होगा. हमारा CAA को पूरा समर्थन रहेगा. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें असम में शांति भंग करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए.’
— भारत एक्सप्रेस
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