दुनिया

एक हिंदू सीनेटर ने दुनिया के सामने खोल दी पाकिस्तान की पोल,बोले- विदेशी मिशनों की भर्ती प्रक्रिया में गैरमुस्लिमों के साथ होता है खुला भेदभाव

इस्लामाबाद– पाकिस्तान भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और अत्याचार की झूठी खबरें सारी दुनिया में फैलाता आया है,मगर खुद पाकिस्तान(Pakistan) में अल्पसंख्यकों के साथ बुरे से बुरा सलूक किया जाता है.ये हकीकत है जो शीशे की तरह साफ है. चाहे वह हिंदू हो,ईसाई हो,पारसी हो या कादियानी मुसलमान.वैसे कादियानियों को तो जनरल जिया के दौर में ही गैरमुस्लिम करार दे दिया गया था.हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने अपने बयान में भारत पर आरोप लगाया था कि वहां minorities पर जुल्म हो रहे हैं.हालांकि भारत उनके आरोपों का मुकम्मल जवाब दे चुका है.लेकिन अब पाकिस्तान की पोल खुद उनके सीनेटर दिनेश कुमार( Dinesh kumar) ने खोल दी है जो कि हिंदू हैं.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का अपमान

पाकिस्तान के हिंदू सीनेटर दिनेश कुमार ने विदेशी मिशनों में पदों के लिए भर्ती में अल्पसंख्यकों(minorities)  के खिलाफ भेदभाव की निंदा की है. उन्होंने कहा कि 122 से अधिक दूतावासों में केवल 17 अधिकारी अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य हैं.पाकिस्तान के एक मशहूर अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी की अध्यक्षता में आयोजित उच्च सदन के एक सत्र के दौरान इस मामले पर चर्चा करते हुए, सीनेटर ने कहा कि यह उनके लिए ‘अपमानजनक’ है कि उन कम नौकरियों में से छह सबसे नीचे दर्जे के पद धार्मिक अल्पसंख्यकों(religious minorities) को दिए गए हैं.

अल्पसंख्यकों की नुमाइंदगी ज़रूरी

संघीय मंत्री शेरी रहमान ने सहमति व्यक्त की कि अल्पसंख्यकों का उचित प्रतिनिधित्व जरूरी है और उनके लिए आरक्षित नौकरी कोटे का सम्मान किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा कि ये पद संघीय लोक सेवा आयोग (एफबीएससी) के हैं.इस बीच, कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा कि उन्होंने इस्टेब्लिशमेंट डिवीजन के साथ एक संयुक्त कानून तैयार किया है और कोटा सीटों को विशेष मामले के रूप में मंजूरी दी गई है, जबकि भविष्य में इस उद्देश्य के लिए एक विशेष परीक्षा आयोजित की जाएगी.इसके बाद संजरानी ने अल्पसंख्यक कोटे का मामला संबंधित समिति को भेजा

हालांकि, सीनेटर कुमार ने संघीय शिक्षा मंत्री राणा तनवीर हुसैन से यह बताने के लिए कहा कि क्या उन्होंने पाठ्यक्रम सुधारों के लिए परामर्श करते समय धार्मिक अल्पसंख्यकों के पुजारियों से सलाह ली थी.उन्होंने विरोध किया, “इसके बजाय, सरकार ने धार्मिक मामलों के मंत्रालय का नेतृत्व करने के लिए एक मौलाना साहब को नियुक्त किया है.”

-भारत एक्सप्रेस

 

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