पिछले 13 साल से विद्रोह की आग में झुलस रहे सीरिया (Syria) में तख्तापलट हो गया है. विद्रोहियों ने देश पर कब्जा कर लिया है, वहीं राष्ट्रपति बशर अल-अशद देश छोड़कर विशेष विमान से अज्ञात जगह के लिए रवाना हो गए. अब देश पर विद्रोहियों का पूरी तरह से कब्जा हो गया है. प्रेसिडेंशियल हाउस की तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें लोग आवास के अंदर घुसकर जमकर लूटपाट करते हुए दिखाई दे रहे हैं. आइये अब आपको बताते हैं कि सीरिया में हुए इस विद्रोह के पीछे कौन है?
सीरिया (Syria) में जो भी हो रहा है या पिछले 13 सालों से होता रहा है, उसके पीछे अबू मोहम्मद अल जुलानी का हाथ है. जुलानी विद्रोह गुट हयात तहरीर अल-शाम का नेता है. मौजूदा समय में यह सीरिया का सबसे ताकतवर गुट है. जुलानी पर अमेरिका ने साल 2017 में 84 करोड़ 67 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था.
हयात तहरीर अल-शाम के नेता जुलानी का जन्म सऊदी शहर के रियाद में साल 1982 में हुआ था. जुलानी के पिता सऊदी में पेट्रोलियम इंजीनियर के पद पर काम करते थे, जुलानी जब 7 साल का था, तभी उसका परिवार सीरिया के दमिश्क में जाकर बस गया था. 2003 में अबू मोहम्मद अल जुलानी ईराक चला गया और उसने अल-कायदा ज्वॉइन कर लिया. जुलानी को बगदादी का काफी करीबी माना जाता था. वह बगदादी के ट्रेनिंग कैंप में भी रह चुका है.
अबू मोहम्मद अल जुलानी को अमेरिकी सेना ने 2006 में गुरफ्तार किया था, जिसके बाद उसे 5 सालों में कैद में रखा था. जुलानी बगदादी का करीबी होने के नाते, उसे अल-कायदा की शाखा अल-नुसरा फ्रंट को स्थापित करने का जिम्मा सौंपा गया था.
धीरे-धीरे बगदादी ने सीरिया में अपने गुट का विस्तार करने की योजना बनाई. 2013 में उसने ऐलान किया कि उसका अल-कायदा समूह के साथ अब कोई संबंध नहीं है, आगे से वह सीरिया में अपना विस्तार करेगा. हालांकि जुलानी अल-कायदा में ही रहा.
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बाद में, जुलानी ने अपने ग्रुप का नाम अल-नुसरा फ्रंट से बदलकर जभात फतेह अल-शाम कर दिया. 2017 में उसने हजारों लड़ाकों को, जो अलेप्पो से भागकर इदलिब पहुंचे, उन्हें अपने ग्रुप में शामिल कर लिया. इसके बाद उसकी ताकत और भी बढ़ गई.
-भारत एक्सप्रेस
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