Hiroshima: इतिहास के पन्नों में देश दुनिया में हुए युद्ध के तमाम दर्द दर्ज हैं. तो उनमें से सबसे बड़ा दर्ज जापान के नाम दर्ज है क्योंकि जापान का हिरोशिमा दुनिया का पहला ऐसा शहर था, जहां पर पहली बार परमाणु हमला किया गया. 6 अगस्त यानी वो दिन आज का ही था. उस दर्द को हर साल 6 अगस्त को याद किया जाता है और दुनिया में इस दिन को ‘हिरोशिमा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर यूएन (संयुक्त राष्ट्र) के आधिकारिक एक्स एकाउंट से एक पोस्ट शेयर की गई है और कहा गया है कि “हमें परमाणु हथियारों के अभिशाप का हमेशा के लिए अंत करने हेतु और भी प्रयास करने होंगे. हिरोशिमा परमाणु बम हमले के 79 वर्ष पूरे होने के अवसर पर
@antonioguterres निरस्त्रीकरण हेतु नए समाधान निकालने की पुकार लगा रहे हैं.”
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम से हमला किया था. अमेरिकी बमवर्षक विमान ‘एनोला गे’ ने “लिटिल बॉय” नामक परमाणु बम को हिरोशिमा पर गिराया था. इस हमले के बाद यहां पर दर्ज का जो सैलाब उठा था वह हमले के 79 साल बाद यानी आज भी यहां के लोगों को पीड़ा दे रहा है. इस दिन का इतिहास हमें याद दिलाता है कि परमाणु हथियारों का उपयोग दुनिया के लिए कितना विनाशकारी हो सकता है.
जानकारी के मुताबिक यह परमाणु बम लगभग 600 मीटर की ऊंचाई पर विस्फोट हुआ था और फिर एक ही पल में पूरा शहर मिट्टी में बदल गया था. आज भी इसके निशान यहां पर मौजूद हैं. हिरोशिमा दुनिया का पहला शहर है, जिसके ऊपर परमाणु बम से हमला किया गया था.
इस भयंकर विस्फोट ने हिरोशिमा शहर को करीब-करीब पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस हमले में हजारों लोगों की जान चली गई थी. हमले के बाद चारो तरफ चीख-पुकार मच गई थी और इस विनाशकारी हमले ने यहां के लाखों लोगों की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया था. अभी जापान हिरोशिमा पर हुए परमाणु हमले से सम्भला भी नहीं था कि अमेरिका ने इसके तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त 1945 को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर भी परमाणु हमला कर दिया था. दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हो गए थे. डेढ लाख से अधिक लोगों की पल भर में मौत हो गई थी और जो बच गए वो अपंगता के शिकार हो गए थे. यहां तक दशकों तक यहां पर अपंग बच्चे पैदा होते रहे. दूर-दूर तक के इलाकों में घंटों काली बारिश होती रही और रेडियोएक्टिव विकिरण ने जिंदादिली से भरे इन दोनों शहरों में कहर बरपा दिया. चारों तरफ मौत का मंजर दिखाई दे रहा था. इस हमले के बाद वक्त तो बीता लेकिन इसका दर्द यहां के लोगों के चेहरे से नहीं गया. दुनिया के इतिहास में इससे भीषण जंग न पहले कभी हुई थी और ना ही उसके बाद कभी दुनिया ने देखी.
बता दें कि इस हमले के पीड़ित लोग दशकों से अदालतों में अपनी मांग के लिए लड़ रहे हैं. अदालत ने साफ कहा कि सरकार द्वारा चिन्हित इलाके के बाहर भी काली बारिश से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे और उन्हें हेल्थ सुविधाएं दी जानी चाहिए. अब उन्हें विकिरण से होने वाली 11 चिन्हित बीमारियों के इलाज की सुविधा मिल सकेगी.
बता दें कि 1 सितंबर, 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ था. 1945 में इसके 6 साल पूरे हो रहे थे और इससे भारी तबाही मची हुई थी. लोग परेशान और बेहाल थे लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल रहा था. तब जापान एक ताकतवर देश हुआ करता थ और वो द्वितीय विश्व युद्ध में लगातार हमले पर हमले किए जा रहा था. इसी हमले के जवाब में अमेरिका ने जापान के ऊपर परमाणु बम से हमला किया था और इसी के तुरंत बाद ही दूसरा विश्व युद्ध थम गया था. जापान ने 14 अगस्त 1945 को मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. हिरोशिमा दिवस इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कई देशों में युद्ध-विरोधी और परमाणु-विरोधी प्रदर्शनों पर केंद्रित रहता है. यह दिन परमाणु हमले के विध्वंस की कहानी कहता है और दुनिया को बताता है कि हिंसा कभी भी किसी का भला नहीं करती सिर्फ पीढ़ियां बर्बाद करती है. परमाणु हथियारों की होड़ में लगी दुनिया में इसके इस्तेमाल की धमकियां तो कई देश लगातार देते रहे हैं लेकिन उसके इस्तेमाल के नतीजे सबको पता है. इसलिए कई एक्सपर्ट परमाणु हथियारों को युद्ध न होने की गारंटी भी देते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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