संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस (Dennis Francis) ने भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि भारत इस बात का उदाहरण है कि डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) सामाजिक परिवर्तन और प्रगति का एक बुनियादी चालक है और अगर समावेशी तरीके से उपयोग किया जाए तो समान अवसरों की सुविधा मिलती है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष फ्रांसिस ने कहा, ‘जिस तरह आर्थिक विकास के लिए भौतिक बुनियादी ढांचा आवश्यक है, उसी तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के बुनियादी चालक के रूप में उभरा है. अगर समावेशी तरीके से उपयोग किया जाता है, तो यह हमारे जीवन के हर पहलू में समान अवसर प्रदान करता है. भारत का प्रगति पथ इसका उदाहरण है.’
फ्रांसिस 25 अप्रैल को न्यूयॉर्क में ‘सिटीजन स्टैक: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजी फॉर सिटिजन्स’ विषय पर आयोजित पहले सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से किया गया था.
फ्रांसिस ने संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष नेताओं, राजनयिकों, थिंक टैंक और नागरिक समाज संगठनों की मौजूदगी वाले सम्मेलन में कहा कि इस साल जनवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्हें ‘यह देखने का सौभाग्य मिला कि कैसे भारत में डीपीआई के तेजी से विस्तार ने पहुंच को व्यापक बनाया है, जिससे लाखों लोग, जो पहले या तो आर्थिक प्रणाली के किनारे पर या इसके बाहर काम करते थे, वित्तीय स्वतंत्रता और समृद्धि प्राप्त करने में सक्षम हुए.’
उन्होंने कहा कि केवल सात वर्षों में भारत के डीपीआई मॉडल ने अपने नागरिकों के लिए 80% से अधिक वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) हासिल किया है और अब यह दुनिया भर में सभी डिजिटल लेनदेन का 60% से अधिक हिस्सा है.
इस दौरान संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम प्रशासक अचिम स्टीनर ने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में ‘वैश्विक नेता’ बन गया है. उन्होंने कहा, ‘हमें डीपीआई के बारे में सोचने की जरूरत है, यह एक टर्म है, (भारत की) जिसका जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और भारत भर में कई लोगों ने अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में वास्तव में सामाजिककरण किया है, क्योंकि जो बात भारत की उल्लेखनीय यात्रा की व्याख्या करती है वह इस बात की सराहना है कि आपको एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है.’
इस मामले पर भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘भारत ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ के लोकाचार में विश्वास करता है और हमारे लोकाचार के अनुरूप हम दुनिया को अपना सिटीजन स्टैक प्रदान करते हैं.’
इंडिया स्टैक (भारत का सिटीजन स्टैक) एक तकनीक है, जो निजी तौर पर संचालित होने के बावजूद डिजिटल पहचान, पेमेंट, ओपेन नेटवर्क और डेटा को शामिल करते हुए नागरिक सेवाओं की एक श्रृंखला प्रदान करती है, इसका उपयोग अन्य नवाचारों innovations को सक्षम बनाती है.
उन्होंने कहा, ‘पिछले साल नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन ने डीपीआई की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचाना और इसके बाद भारत ने डीपीआई के लिए एक वैश्विक भंडार स्थापित करने की पहल की, जिसमें वर्तमान में 16 देशों के 55 से अधिक डीपीआई हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक सामाजिक प्रभाव कोष के लिए 200 मिलियन डॉलर देने का वादा किया है, जो वैश्विक स्तर पर विशेषकर विकासशील देशों में डीपीआई को अपनाने में तेजी लाएगा.’
-भारत एक्सप्रेस
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