यूरोपीय देश भारत के रूस से ईधन खरीदने को लेकर एतराज करते आए हैं. ऐसे में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोपीय देशों को साफ-साफ सुनाते हुए कहा है कि यूरोप ने फरवरी 2022 से अभी तक भारत की अपेक्षा अपने यहां रूस से छह गुना ज्यादा जीवाश्म ईंधन का आयात किया है.
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर 60,000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय वाले समाज को अपनी चिंता है तो उन्हें 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय वाले समाज से मार झेलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक खबर में जयशंकर के हवाले से यह लिखा गया है कि दुनिया जो कि अभी भी लगभग पूरी तरह से पश्चिमी देशों पर आधारित है, वह यूक्रेन युद्ध के प्रभाव से बदल रही है और यह बहु-गठबंधन वाली दुनिया में बदल रही है, जहां देश अपनी नीतियां, पसंद और हित चुन सकेंगे.
अखबार में प्रकाशित इस खबर के मुताबिक, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, मैं अधिक नियम आधारित दुनिया देखना चाहूंगा, लेकिन जब लोग आप पर नियम आधारित दुनिया के आधार पर कुछ छोड़ने के लिए दबाव बनाने लगते हैं और जब बेहद गंभीर हितों के मामलों में समझौते लिए दबाव बनाने लगते हैं तो, उस वक्त मुझे डर है कि जवाब देना आवश्यक है और अगर आवश्यकता पड़े तो उसे चुनौती देना भी.
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भारत की ऊर्जा जरूरतें सिर्फ वही तय करेगा- जयशंकर
रूस पर यूक्रेन के हमले के बाद वैश्विक स्थितियां बदल गई हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले पूरा यूरोप तेल और गैस रूस से ही खरीदता रहा है. बावजूद इसके युद्ध के बाद रूस पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं.
इस वजह से यूरोप में बिजली संकट पैदा हो गया. रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर यूरोपीय देशों ने भारत पर इस बात का दवाब बनाया कि वो भी रूस से तेल न खरीदे. लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने तथ्यों से यूरोप को आईना दिखा दिया.
उन्होंने इस मुद्दे पर मुखरता दिखाते हुए यह साफ कर दिया कि भारत की ऊर्जा जरूरतें कोई और विदेशी मुल्क तय नहीं कर सकता है. विदेश मंत्री ने यूरोप को दो-टूक जवाब देते हुए कहा है कि यूरोप खुद कुछ करे और भारत से कुछ और कहने के लिए कहे, यह कैसे संभव है. जितना 10 देश मिलकर रूस से तेल, गैस और कोयले का आयात करते हैं, यूरोप ने उससे कहीं ज्यादा इनका आयात किया है.
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