सऊदी अरब ने इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने के लिए अपनी पुरानी शर्तें दोबारा रख दी हैं. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Prince Mohammed bin Salman) ने साफ कर दिया है कि जब तक फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक इजराइल को मान्यता नहीं दी जाएगी. गाजा में इजराइल की सैन्य कार्रवाइयों के बाद, सऊदी ने अपने रुख को सख्त बना लिया है.
इस साल की शुरुआत में सऊदी अरब ने इजराइल के साथ संबंध सुधारने के संकेत दिए थे. सऊदी ने अमेरिका को बताया था कि अगर इजराइल दो-राज्य समाधान (Two States Solution) के लिए सार्वजनिक रूप से प्रतिबद्धता जताता है, तो वह इस पर विचार करेगा. लेकिन गाजा में बढ़ते हिंसा और मध्य पूर्व में जनाक्रोश के बाद सऊदी ने अपना नरम रुख त्याग दिया है.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) अभी भी सऊदी अरब के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए उत्सुक हैं. उनके अनुसार, यह अरब देशों में इजराइल की स्वीकार्यता को दर्शाता है. लेकिन हमास के 7 अक्टूबर के हमलों के बाद, नेतन्याहू को घरेलू राजनीति में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इजरायल द्वारा फिलिस्तीन को रियायत देने के मामले में कोई भी कदम उनके सत्तारूढ़ गठबंधन को तोड़ सकता है.
सऊदी अरब और अमेरिका अब एक सीमित रक्षा सहयोग समझौते पर काम कर रहे हैं. उम्मीद है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान यह समझौता हो सके. इसका उद्देश्य ईरान जैसे क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास और सुरक्षा साझेदारी को बढ़ावा देना है.
एक पूर्ण अमेरिकी-सऊदी रक्षा संधि (US-Saudi Defense Treaty) के लिए अमेरिकी सीनेट में दो-तिहाई बहुमत चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि यह तभी संभव है जब सऊदी अरब इजराइल को औपचारिक मान्यता दे. इस मुद्दे पर सऊदी और इजराइल के बीच कूटनीतिक गतिरोध बना हुआ है.
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-भारत एक्सप्रेस
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