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दिल्ली हाई कोर्ट ने घुड़सवारी खेलों की स्थिति सुधारने हेतु 5 सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग समिति का गठन किया

दिल्ली हाई कोर्ट ने भारत में घुड़सवारी खेलों की जमीनी हकीकत की विस्तृत जांच करने के लिए 5 सदस्यीय फैक्ट-फाईडिंग समिति गठित की है, जिसमें बुनियादी ढांचे के आकलन, एथलीटों की भागीदारी और प्रतिनिधित्व तथा खेल के विकास में क्लबों की भूमिका जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. समिति दिल्ली हाई कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की अध्यक्षता में कार्य करेगी. अन्य सदस्यों में केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई), भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से नामित व्यक्ति और घुड़सवारी खेलों से दो घुड़सवार खिलाड़ी- दिव्याकृति सिंह और श्रुति वोरा शामिल हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया है.

समिति के उद्देश्यों में प्रमुख रूप से घुड़सवारी खेलों के लिए उपलब्ध सुविधाओं की पहचान करना और उनका मूल्यांकन करना, जिसमें उनका भौगोलिक वितरण और पहुंच शामिल है. विशेष रूप से समिति प्रत्येक जिले और राज्य में घुड़सवारी के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता का निर्धारण करेगी. सरकारी निकायों, साई, ईएफआई, राज्य संघों या निजी क्लबों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का स्वामित्व, रखरखाव और पहुंच; बुनियादी ढांचे की कमी वाले जिलों के एथलीटों द्वारा आस-पास के जिलों या क्षेत्रों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करने की व्यवहार्यता है.

एथलीट भागीदारी और प्रतिनिधित्व के स्तर की जांच करें घुड़सवारी खेलों के विकास और खेल संहिता के साथ उनके अनुपालन में राज्य संघों की प्रभावशीलता और योगदान का आकलन करेंगे. न्यायमूर्ति नरूला ने घुड़सवारी खेलों के प्रशासन, बुनियादी ढांचे और विकास में क्लबों के योगदान और खेल संहिता के प्रतिनिधि ढांचे के साथ उनकी अनुकूलता का मूल्यांकन कर समिति को अपने गठन के तीन महीने के भीतर मंत्रालय को अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.

इस रिपोर्ट में विशेष रूप से कार्यशील क्लबों वाले जिलों की संख्या का पता लगाना चाहिए और खेल संहिता द्वारा परिकल्पित पिरामिड संरचना में उनके संभावित एकीकरण का विश्लेषण करना चाहिए. समिति को जिला संघों के तहत क्लबों के आयोजन की व्यवहार्यता की जांच करनी चाहिए, जो तब राज्य संघों का हिस्सा बनेंगे. अदालत ने कहा इस निष्कर्ष में ईएफआई के शासन ढांचे को खेल संहिता के सिद्धांतों के साथ जोड़ने, समावेशिता, जमीनी स्तर पर विकास और न्यायसंगत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदमों पर सिफारिशें शामिल होनी चाहिए.

न्यायमूर्ति नरूला ने भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) के कामकाज के संबंध में राजस्थान घुड़सवारी संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए समिति के गठन का निर्देश दिया. याचिकाकर्ता/राजस्थान घुड़सवारी संघ ने खेल संहिता, 2011 के विशिष्ट प्रावधानों की प्रयोज्यता पर एक छूट खंड जोड़ने और भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) को कुछ छूट देने के संबंध में युवा मामले और खेल मंत्रालय (प्रतिवादी संख्या 1) द्वारा जारी अधिसूचना और आदेश को चुनौती दी है.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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