अमेरिका ने भारत के तीन प्रमुख परमाणु संस्थाओं पर लगे लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंधों को हटा लिया. यह कदम भारत और अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस फैसले का ऐलान अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन द्वारा पिछले हफ्ते किए गए बयान के कुछ दिन बाद हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका भारत और अमेरिकी कंपनियों के बीच नागरिक परमाणु सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रहा है.
इन तीन संस्थाओं में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), और भारतीय रेयर अर्थ्स (IRE) शामिल हैं. अमेरिकी ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) ने इन संस्थाओं के नाम को अपनी ‘एंटिटी लिस्ट’ से हटा दिया है. इससे इन संस्थाओं को अमेरिकी कंपनियों के साथ सहयोग करने में अब कोई रुकावट नहीं होगी.
भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग
यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच 16 साल पहले शुरू हुए नागरिक परमाणु समझौते को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है. भारत और अमेरिका के बीच 2005 में नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान हुआ था, और इस समझौते का लक्ष्य था अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करना.
अमेरिकी व्यापार मंत्रालय के एक अधिकारी मैथ्यू बोरमैन ने कहा कि तीन भारतीय संस्थाओं पर प्रतिबंधों को हटाने से भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही यह कदम दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को और प्रगति देगा. बोरमैन ने कहा कि यह कार्रवाई भारत-अमेरिका साझेदारी की समग्र रणनीतिक दिशा के अनुरूप है.
बदलेंगे भारत-अमेरिका संबंध?
यह कदम अमेरिका द्वारा भारत के साथ परमाणु और ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच संयुक्त अनुसंधान और विकास, साथ ही ऊर्जा सुरक्षा संबंधी साझा लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
अमेरिका और भारत के बीच परमाणु सहयोग को लेकर जो दृष्टिकोण 20 साल पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तैयार किया था, वह अब आकार लेता हुआ नजर आ रहा है. हालांकि, इस क्षेत्र में पूरी तरह से सहयोग की राह में अब भी कुछ अड़चनें आ सकती हैं, लेकिन इस नए कदम के बाद दोनों देशों के रिश्तों में नई ऊर्जा का संचार होने की संभावना है.
अमेरिका द्वारा भारतीय परमाणु संस्थाओं पर प्रतिबंधों को हटाना भारत और अमेरिका के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. यह कदम नागरिक परमाणु क्षेत्र में दोनों देशों के बीच व्यापक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है.
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