ब्रिटेन की संसद इस समय एक विवादित और महत्वपूर्ण कानून पर चर्चा कर रही है, जिसे “असिस्टेड डाइंग बिल” कहा जा रहा है. यह कानून नागरिकों को अपनी स्वेच्छा से मृत्यु प्राप्त करने का अधिकार देने का प्रस्ताव करता है. इस बिल को लेकर संसद में वोटिंग हुई, जिसमें अधिकांश सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि एक बड़ी संख्या ने इसके खिलाफ भी वोट दिया. इस मुद्दे पर सांसदों में गहरी विभाजन दिखी और उन्हें स्वतंत्र रूप से वोट देने का अवसर दिया गया था, जो पार्टी लाइन से परे था. इसके अलावा, ब्रिटेन की जनता भी इस बिल के समर्थन में सड़कों पर उतर आई है.
हालांकि यह बिल लोगों के जीवन को समाप्त करने का अधिकार देने की बात करता है, लेकिन इसका उद्देश्य केवल उन लोगों को मदद प्रदान करना है जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, और जिनके पास जीने की कोई संभावना नहीं बची है या वे असहनीय दर्द में हैं. यह कानून केवल उन व्यक्तियों के लिए है जो जीवन के अंतिम क्षणों में दर्द और कष्ट झेल रहे हैं, और उन्हें मृत्यु के विकल्प का अधिकार प्रदान करता है.
हाउस ऑफ कॉमन्स में मतदान
ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में शुक्रवार को इस विधेयक पर मतदान हुआ, जिसमें 330 वोट इसके पक्ष में पड़े, जबकि 275 वोट इसके विरोध में थे. इस विधेयक का उद्देश्य इंग्लैंड और वेल्स में गंभीर बीमारियों से पीड़ित वयस्कों को मेडिकल सहायता के तहत मृत्यु प्राप्त करने का अधिकार देना है. हालांकि, इस बिल को कानून बनने से पहले हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा.
प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी इस विधेयक के पक्ष में वोट देने वालों में शामिल थे. कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा कि यह एक व्यक्तिगत विवेक का मामला है, और देशभर के लोग इस पर गहरी नजर बनाए हुए हैं. इस बिल में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य को मजबूर करके घातक दवा लेने के लिए कहता है, तो उसे 14 साल तक की सजा हो सकती है.
इस विधेयक में सुरक्षा के कड़े उपाय शामिल किए गए हैं. पक्ष में वोट करने वाले सांसदों ने कहा कि इसमें दो स्वतंत्र डॉक्टरों की मंजूरी जरूरी होगी, साथ ही उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अनुमति भी ली जाएगी. इसके अलावा, व्यक्ति को स्वेच्छा से दवाइयां लेने की जिम्मेदारी होगी. पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और ऋषि सुनक का मानना है कि ऐसे लोग जो पीड़ा में हैं और मृत्यु का सामना कर रहे हैं, उन्हें अपने दर्द को कम करने का विकल्प मिलना चाहिए.
हालांकि, इस बिल के खिलाफ भी विरोध हुआ है. सुएला ब्रेवरमैन सहित कुछ सांसदों ने इस विधेयक के खिलाफ वोट दिया. उनका मानना है कि ऐसे कानून से गंभीर नैतिक और सामाजिक मुद्दे उठ सकते हैं. यह बिल ब्रिटेन में एक बड़ा कदम हो सकता है, जो जीवन और मृत्यु के अधिकार पर गहरी बहस का कारण बन चुका है. इस मुद्दे पर सार्वजनिक समर्थन और सांसदों के बीच विभाजन दोनों ही स्पष्ट हैं, और इस पर आगे की बहस और संशोधन की प्रक्रिया जारी रहेगी.
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यूरोप में कई ऐसे देश हैं, जिनमें मरने का अधिकार, या असिस्टेड डाइंग और ईथनासिया से संबंधित कानून मौजूद हैं. ये कानून उन लोगों को स्वेच्छा से मरने का अधिकार देते हैं जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते हैं और उनके पास जीवन जीने की कोई संभावना नहीं होती है. साल 2002 में सबसे पहले नीदरलैंड्स देश का पहला देश था, जिसने ईथनासिया और असिस्टेड डाइंग को कानूनी मान्यता दी थी. बेल्जियम ने 2002 में अपने यहां असिस्टेड डाइंग को कानूनी रूप से वैध किया था. स्विटजरलैंड में असिस्टेड डाइंग को अनुमति है, लेकिन ईथनासिया अवैध है. लक्समबर्ग में भी 2009 में असिस्टेड डाइंग और ईथनासिया को कानूनी रूप से वैध किया था.2021 में, स्पेन ने भी असिस्टेड डाइंग और ईथनासिया को कानूनी रूप से वैध कर दिया. इसके अलावा पूर्तगाल, इटली और ऑस्ट्रेलिया में भी इस तरह के कानूनी प्रावधान हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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