हवा में उड़ते हुए प्लेन में कई बार तकनीकी खराबी आ जाने से वे क्रैश हो जाते हैं, कई बार तो इन हादसों में दर्जनों, या फिर उससे भी ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. तकनीकी खराबी से प्लेन क्रैश होना या फिर फ्यूल खत्म हो जाने से विमानों का जमीन पर आकर गिरना एक अलग बात है, लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि एक मगरमच्छ की वजह से प्लेन क्रैश हो गया और उसमें 20 लोगों की मौत हो गई, तो क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे? लेकिन ऐसा हुआ था. आइये आपको बताते हैं 14 साल पहले मध्य अफ्रीका के एक देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में हुए प्लेन क्रैश के बारे में.
दरअसल, साल 2010 में अगस्त के महीने में डेमोक्रेटिक ऑफ कांगो यानी की डीआरसी की राजधानी किंशासा के नडोलो एयरपोर्ट से एक यात्री प्लेन उड़ान भरता है. ये प्लेन दो इंजन वाला छोटा विमान था. जो आमतौर पर कार्गो के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जिसे अमेरिका ने डीआरसी को दिया था.
विमान नडोलो से किरी होते हुए बोकोरो पहुंचा और वहां से सेमेंद्वा. सेमेंद्वा से विमान अपने आखिरी पड़ाव बंदुदु के लिए रवाना हो गया. बंदुदु में लैंडिंग से पहले ही विमान में कुछ दिक्कतें शुरू हो गईं.
हालांकि ये समस्याएं प्लेन में सवार यात्रियों या फिर तकनीकी तौर पर नहीं थी, बल्कि प्लेन के पिछले हिस्से में बने कार्गो वाले एरिया में थी. जहां पर एक बड़ा सा बैग रखा हुआ था. जिसे अनुमान के मुताबिक, सेमेंद्वा एयरपोर्ट पर अंदर रखा गया था. बंदुदु में विमान के लैंड होने से पहले बैग में कुछ हरकत होने लगी, अचानक से बैग का मुह खुला और उसमें से दो बड़ी-बड़ी आंखें चमकती हुई दिखाई दीं.
बैग से कुछ निकलता, उससे पहले ही विमान नीचे की ओर मुड़ा और हवा में पलटी मारता हुआ एक घर की छत से टकरा गया. जिसमें विमान के पुर्जे-पुर्जे अलग हो गए. इस हादसे में 18 यात्रियों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई. इसके अलावा पायलट और को-पायलट भी मारे गए. चूंकि को-पायलट ब्रिटिश नागरिक था, इसलिए ब्रिटिश अधिकारियों ने इस हादसे का संज्ञान लिया और क्रैश होने की वजह पता करने में जुट गए. वहीं दूसरी ओर डीआरसी के पास संसाधनों की कमी थी, इसलिए उसने सतही तौर पर जांच करने के बाद इसे बंद कर दिया. रिपोर्ट में बताया गया कि प्लेन का फ्यूल खत्म हो गया था. इसलिए हादसा हुआ.
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दूसरी ओर, ब्रिटिश अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं थे, उन्होंने कांगो से विमान का ब्लैक बॉक्स मांगा, लेकिन कांगो हीला-हवाली करता रहा. जब ब्लैक बॉक्स नहीं मिला तो ब्रिटेन ने एक एक्सपर्ट को इस जांच के लिए नियुक्त किया. जिसका नाम था, टिमथी एटकिंसन. टिमथी ने जांच के बाद निकले निष्कर्षों के आधार पर बताया कि प्लेन जब लैंड कर रहा था, तभी स्टॉल कर गया. मतलब ये कि एक तरफ विमान ज्यादा झुक गया और उसका संतुलन बिगड़ गया था.
कुछ समय बाद इस हादसे को लोग भूल गए, लेकिन बाद में एक नई थ्योरी ने लोगों को अचंभित कर दिया. जब इस हादसे को लेकर एक स्थानीय पत्रिका ने खबर छापी. जिसमें एक आदमी का जिक्र किया गया था. जो उस रोज हादसे के दौरान विमान में यात्रा कर रहा था. उस आदमी के हवाले से उस रिपोर्ट में बताया गया कि हादसे से पहले बैग से एक मगरमच्छ निकलकर फर्श पर घूमने लगा था. जिसके डर से विमान में अफरा-तफरी मच गई थी. लोग पीछे हटते-हटते केबिन के पास पहुंच गए. जिससे अगले हिस्से का भार बढ़ गया और विमान हवा में झूलता हुआ नीचे जा गिरा. आदमी ने जो कहानी बताई, उसके हिसाब से प्लेन क्रैश में सिर्फ वो और मगरमच्छ ही जिंदा बचे थे. हालांकि बाद में एयरपोर्ट पर मौजूद लोगों ने उस मगरमच्छ को भी मार डाला. जिंदा बचे इस शख्स की कहानी को मीडिया ने खूब तवज्जो दी, लेकिन आधिकारिक तौर पर कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया गया कि मगरमच्छ की वजह से ये प्लेन हादसा हुआ.
-भारत एक्सप्रेस
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