दिलीप मिश्रा
संसद की शीतकालीन सत्र की शुरुआत 25 नवंबर से हुई. शीतकालीन सत्र के शुरू होने के बाद कार्यवाही से देश को गति नहीं मिल पाई. इसी बीच राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति पर विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव ला दिया. अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी को विपक्ष ने दिया है. बुधवार को इस पर भी हंगामा हुआ. अभी तक मात्र सदन में रेलवे संशोधन बिल पर ही ध्वनि मत से सहमति बन पाई है. हर दिन होने वाले संसदीय कार्यवाही पर काफी पैसे खर्च होते हैं, लेकिन उस पैसे की सदुपयोग की जगह दुरुपयोग हो रहा है.
25 नवंबर से संसद की शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई. बीते 14 दिनों की कार्यवाही में अभी तक कुछ खास नहीं हो पाया. अब संसद की कार्यवाही में मात्र 8 दिन शेष बचा है. विपक्ष की ओर से अडाणी, संभल हिंसा, मणिपुर हिंसा सहित अन्य मामले में विपक्ष के हंगामा करते रहा है. अभी संसद परिसर में तो कभी सदन में हंगामा विपक्ष की ओर से होता रहा है. विपक्ष के कुछ सांसद खुद इसके विरोध में हैं. टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा मिलकर सदन की कार्यवाही को प्रभावित कर रहे हैं. एक सत्ताधारी पार्टी है तो दूसरे मुख्य विपक्षी पार्टी है. इसलिए दोनों पार्टियों को तरजीह दी जा रही है ,लेकिन अन्य पार्टियों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यही हाल करीब संसद के मानसून सत्र में ही रहा, जहां ज्यादातर समय हंगामा होता रहा. संसद के दोनों ही सदनों में खूब हंगामा हो इन दिनों रहा है. हंगामे के बीच शीतकालीन सत्र के मात्र 8 दिन शेष बचे हैं. इसी को देखते हुए पिछले कुछ समय से संसद में कामकाज को लेकर सवाल लगातार उठाते रहे हैं. सदन में होने वाले हंगामे और वॉक आउट के बीच समय खराब होता है. इसको लेकर भी सवाल खड़े किए जाते है.
क्या आप जानते हैं कि संसद में एक दिन सत्र को कराने में कितनी रकम खर्च होती है? जनता के द्वारा चुने गए नेताओं के संसद में शोर और विपक्ष के हंगामे के कारण देश की इकोनॉमी पर भी काफी असर पड़ रहा है. देश में रहने वाले टैक्सपेयर्स के पैसों का नुकसान हर घंटे केवल संसद में नेताओं के हो-हल्ले और हंगामे के कारण हो रहा है. आइए जानते हैं संसद की कार्यवाही पर कितना खर्च आता है और क्या होता है सत्र.
शीतकालीन सत्र 25 नवंबर 2024 से शुरू हुआ और 20 दिसंबर को खत्म होगा. संसद के दोनों ही सदनों में विरोध-प्रदर्शन और हंगामे के कारण किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकी. अब तक दोनों ही सदन लोकसभा और राज्यसभा विपक्ष का हंगामा जारी रहा.
सुबह 11 बजे से सदन की कार्यवाही शुरू होकर शाम 6 बजे तक चलती है. इस बीच करीब दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच सांसदों को लंच ब्रेक भी मिलता है. शनिवार और रविवार को छोड़कर शेष 5 दिन संसद की कार्यवाही होती है. अगर बीच में कोई त्यौहार पड़ जाए तो संसद का अवकाश माना जाता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार संसद की प्रत्येक कार्यवाही पर करीब हर मिनट में 2.5 लाख रुपये खर्च आता है. आसान भाषा में जानें तो एक घंटे में करीब 1.5 करोड़ रुपये का खर्च होता है.संसद सत्र में लंच को छोड़कर 6 घंटे तक सत्र की कार्यवाही चलता है. लेकिन 6 घंटों में दोनों सदनों में केवल हंगामा और विरोध हो रहा है. जिसके कारण हर मिनट करीब 2.5 लाख रुपये बर्बाद हो रहा है.
संसद की कार्यवाही के लिए जो पैसे खर्च किए जाते हैं वो जनता की कमाई का हिस्सा होता है. ये वहीं पैसे हैं जिसे हम टैक्स के रूप में अदायगी करते हैं. वो राशि विपक्ष के हंगामे के कारण भेंट चढ़ रहा है. देश की जनता को सत्र और सदन में चर्चा के समय काफी उम्मीद होती है लेकिन बेवजह के मुद्दे पर सदन की कार्यवाही को स्थगित करवाया जा रहा है.
लोकसभा की आंकड़ों के मुताबिक सांसदों को हर महीने करीब 50,000 रुपये सैलरी दी जाती है. जबकि निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के रूप में सांसदों को करीब 45,000 रुपये वेतन दिया जाता है. इसके अलावा सांसदों का कार्यालय खर्च भी दिया जाता है, जो 15,000 रुपये है. इसके साथ ही सचिव की सहायता के रूप में सांसदों को करीब 30,000 रुपये दिए जाते हैं. अगर सभी को जोड़ कर देखें तो सांसदों को प्रति माह करीब 1.4 लाख रुपये सैलरी दी जाती है. सांसदों को साल भर में 34 हवाई यात्राओं का लाभ मिलता है. सांसद ट्रेन और सड़क यात्रा के लिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
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पॉलिटिकल एक्सपर्ट राहुल लाल ने बताया कि संसद की कार्यवाही चलाना काफी मुश्किल भरा काम होता है. खासकर जब सत्र चल रहा हो तो इसमें देश के मुद्दे पर चर्चा होना चाहिए. सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सत्र के दौरान बहस जरूरी है, लेकिन वो किसी सार्थक मुद्दे पर होनी चाहिए . इस तरह हो-हंगामा करने से जनता के पैसे का दुरुपयोग करना देशहित में नहीं है. संसद में सवाल पूछे जाने और उसके जवाब के अलावा संबंधित विभागों में पत्राचार करने में लाखों टन पेपर प्रिंट होते हैं. इसमें भी काफी खर्च होता है. इससे जनता के हित में ध्यान रखकर कार्यवाही में सुचारु रूप से चलने देने चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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