गुटखा किंग विकास मालू के फार्म हाउस में फ़िल्म अभिनेता सतीश कौशिक की संदिग्ध मौत एक अनसुलझी पहेली बनती जा रही है. आरोप है कि पहले जाँच को खानापूर्ति में तब्दील करने की डील कर चुके दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्तों ने अब अभिनेता की बिसरा रिपोर्ट मैनेज कराने का ठेका भी ले लिया है.
अभिनेता सतीश कौशिक की संदिग्ध मौत के मामले में जिस तरह विशेष आयुक्त स्तर के अफ़सरों पर आरोपी विकास मालू से गठजोड़ के आरोप सामने आ रहे हैं, उसके बाद भी गृह मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय की खामोशी बड़े सवाल खड़े कर रही है. विभाग में चर्चा है कि यही आरोप निरीक्षक स्तर तक के अफ़सरों पर लगते तो अब तक उन्हें घर बैठा दिया गया होता. मगर लेनदेन के आरोप IPS अफ़सरों पर लग रहे हैं तो मामले पर लीपापोती की कवायद तेज हो गई है. चर्चा तो यहाँ तक है कि अभिनेता की बिसरा रिपोर्ट मैनेज कराने के लिए आरोपी अफ़सरों के साथ फिर से डील हो गई है.
गौरतलब है कि अभिनेता सतीश कौशिक होली के अवसर पर गुटखा किंग विकास मालू के बिज़वासन स्थित फार्म हाउस पर आयोजित पार्टी में शामिल हुए थे. सूत्रों की मानें तो इस पार्टी में प्रोफेशनल कॉल गर्ल भी बुलाई गई थी. जिनका इंतज़ाम ज्वैलरी के कारोबार से जुड़े दो लोगों ने किया था. यह कारोबारी दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त स्तर के कुछ अफ़सरों के भी ख़ास बताए जाते हैं. सूत्रों की मानें तो होली की रात ही फार्म हाउस में सतीश कौशिक की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. मगर दुष्कर्म के आरोप में क़ानूनी जाल में उलझा विकास मालू इस घटना से इतना घबरा गया कि उसने किसी को इस घटना की जानकारी नहीं दी. इस बारे में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजीव कुमार ने भारत एक्सप्रेस के सवालों के जवाब में कहा था कि सीसीटीवी फुटेज से जानकारी मिली है कि पार्टी में कुछ फैमिली शामिल थी. अभी तक लड़कियां सप्लाई करने की बात सामने नहीं आई है. लेकिन आरोपों की पुष्टि या इनकार, छानबीन पूरी होने पर ही संभव है.
होली की रात गुरुग्राम के फोर्टिज अस्पताल से कापसहेड़ा थाने को सतीश कौशिक की मौत की सूचना मिली. जिन्हें पुष्पांजलि फार्म हाउस से वहां ले जाया गया था. वह 08 मार्च को अपने मैनेजर के साथ मुंबई से दिल्ली आए और विकास मालू के घर में रुके थे. उन्होंने तीन बजे तक होली खेली और आराम करने चले गए. रात करीब नौ बजे उन्होंने खाना खाया और फिर टहलने के बाद अपने कमरे में चले गए. रात करीब 12 बजे उन्होंने अपने मैनेजर को बुलाकर बेचैनी और सीने में दर्द की बात बताई. तब उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
मामले का खुलासा होने के बाद अगले दिन हरकत में आई दक्षिण-पश्चिमी ज़िला पुलिस ने जानकारी दी कि अभिनेता सतीश कौशिक की मौत की सूचना उन्हें रात क़रीब 2:22 बजे फ़ोर्टिज अस्पताल से मिली थी. यानी मालू ने पुलिस को अभिनेता की मौत की जानकारी नहीं दी थी. पुलिस का दावा है कि अभिनेता के परिजनों ने भी कोई शक नहीं जताया है तो सवाल उठता है कि पुलिस ने पोस्टमार्टम क्यों कराया? पुलिस का कहना था कि चूंकि हॉस्पिटल ने इस मामले में MLC बना दी थी तो भविष्य में उठने वाले सवालों को ध्यान में रखकर CRPC 174 की कार्रवाई करते हुए पोस्टमार्टम कराया गया. मगर हैरानी की बात है कि बिसरा रिपोर्ट का इंतज़ार किए बिना पुलिस इस घटना को हार्ट अटैक से हुई मौत बताकर अपना दामन बचाने की जल्दी करती नज़र आई. ऐसे में सवाल उठता है कि इसे सामान्य मौत करार देने में जल्दीबाज़ी किसके इशारे पर की जा रही थी?
इस मामले में दिल्ली पुलिस के कई विशेष आयुक्त पहले ही दिन संदेह के घेरे में आ गए. आरोप है कि दुष्कर्म के आरोपी विकास मालू ने इन अफ़सरों से डील करके मामला दबाने की गुहार लगाई. यही वजह रही कि इस मामले में पुलिस ने कॉलगर्ल्स स्पलायर को खुला छोड़ दिया. इतना ही नहीं आरोप के तुरंत बाद आरोपी विकास मालू से पूछताछ तक नहीं की गई. इस घटना के बाद विकास मालू ने सोशल मीडिया के माध्यम से सतीश कौशिक से अपने दशकों पुराने रिश्तों की दुहाई देकर घडियाली आंसू बहाए. मगर अगली ही शाम मुंबई के एक होटल में अभिनेत्री अमीषा पटेल के साथ पार्टी कर जश्न भी मनाया. जिससे पता चलता है कि उसे अभिनेता की मौत का जरा भी ग़म नहीं था.
विकास मालू की पत्नी ने इस घटनाक्रम के बाद उस पर सतीश कौशिक की हत्या कराने की आशंका जता दी. उसका कहना था कि मालू अभिनेता सतीश कौशिक के 15 करोड़ रुपए वापस नहीं लौटा रहा था. वह उन्हें रशियन लड़कियों के साथ कामोत्तेजक दवाई देकर मारने की बात भी कर चुका था. ऐसे में होली की पार्टी में कॉल गर्ल्स और आपत्तिजनक दवाइयों के बारे में लगे आरोप ओर ज़्यादा गंभीर हो जाते हैं. जिनका खुलासा बिसरा रिपोर्ट आने के बाद हो सकता है. मगर सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट को भी मैनेज करने के लिए आला पुलिस अफ़सरों से फिर से डील की गई है.
दिल्ली पुलिस को प्रयोगशाला समझने वाले गृह मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय की चुप्पी चर्चा का विषय बन गई है. दिल्ली पुलिस के IPS अफ़सरों पर जिस तरह भ्रष्टाचार और आरोपियों से साँठगाँठ के आरोप सामने आ रहे हैं, उसने महकमे के स्वर्णिम इतिहास को भी दागदार कर दिया है. सतीश कौशिक की मौत के बाद से सवालों में उलझी दिल्ली पुलिस ने किसी के भी खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है. ख़ास बात यह है कि एक भी आरोप पर जांच शुरू करने की बात तक नहीं की जा रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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