दिल्ली में दवाओं के थोक बाजार भागीरथ पैलेस में नवंबर में पांच दिन तक चले अग्निकांड की जांच के लिए 11 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. हर कोई जानता है कि चांदनी चौक इलाके की संकरी गलियों और कटरों में अग्निकांड की स्थिति में बचाव कार्य कितना मुश्किल काम है. बावजूद इसके नगर निगम और पुलिस यहां व्यावसायिक अवैध निर्माण और अतिक्रमण रोकने को गंभीर नहीं हैं. इसके अलावा यहां बीते साल बनाया गया वाटर टैंक भी चालू नहीं हो पाया है. हैरानी की बात है कमेटी में शामिल अधिकारी कई अधिकारी इसके लिए खुद जिम्मेदार हैं. मगर अब वह खुद मामले की जांच करेंगे.
चांदनी चौक के भागीरथ पैलेस में नवम्बर को लगी भयंकर आग के कारणों और हालातों की समीक्षा के लिए उप राज्यपाल वी के सक्सेना ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. कमेटी इस बात की जांच करेगी कि चांदनी चौक इलाके की संकरी गलियों और कटरों को अग्निकांड होने की स्थिति में कैसे सुरक्षित बनाया जाए. इसके साथ ही ऐसे हालातों में बचाव के कार्यों को करने में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए सुझाव भी पेश किए जाएंगे. खास बात है कि कमेटी में शामिल कई अधिकारियों का कामकाज खुद सवालों के घेरे में है.
पुरानी दिल्ली की शान चांदनी चौक देश के ऐतिहासिक बाजारों में शुमार है. यहां मौजूद कटरे खास उत्पादों और वस्तुओं के कारोबार के लिए मशहूर हैं. यहां स्थापित लाजपत राय मार्केट बिजली के सामन, घड़ियों और खिलौनों के लिए मशहूर है तो भगीरथ पैलेस दवा और इलेक्ट्रिक कारोबार के लिए, दरीबा कलां मुगलकालीन जौहरियों का बाजार है तो किनारी बाजार गोटा और जरी के कारोबार का ठिकाना, नई सड़क और चावड़ी बाजार कागज कारोबार का केंद्र है नया बाजार और खरी बावली ड्राई फ्रूट्स, किराना और मसालों के लिए उत्तर भारत के बड़े थोक बाजार हैं.
दरअसल, 24 नवंबर को भागीरथ पैलेस में आग लगने की घटना हुई थी. जिस पर काबू पाने में पांच दिन लग गए. इस घटना के बाद दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारियों ने बताया कि यहां आग बुझाने के लिए विभिन्न केंद्रों से करीब पांच-छह लाख लीटर पानी लाकर आग पर काबू पाया गया. लेकिन अतिक्रमण और संकरे रास्तों के कारण बचाव कार्य में काफी परेशानी हुई. इन्हीं कारणों की समीक्षा के लिए शाहजहानाबाद रि-डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की प्रबंध निदेशक गरिमा गुप्ता की अध्यक्षता में एक 11 सदस्यीय उच्च समिति का गठन किया गया है. इसमें मध्य परिक्षेत्र के संयुक्त पुलिस आयुक्त, क्षत्रिय जिलाधिकारी, निगम उपायुक्त, पीडब्ल्यूडी, फायर और एनडीआरएफ अधिकारी भी शामिल हैं.
कमेटी 30 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपेगी. कमेटी 24 नवम्बर को लगी आग के कारणों का पता लगाने के साथ ही यह भी तय करेगी कि किस तरह स्पेशल डेवलपमेंट एरिया, कटरों, चांदनी चौक की गलियों सहित अन्य जगहों पर इस तरह के हादसे दोबारा न हो. इसके लिए कमेटी स्थानीय व्यापारी संगठनों एवं रिहायशी संगठनों से भी सुझाव लेगी. इस दौरान यदि उसे लगता है कि इस हादसे में किसी भी अधिकारी या निजी व्यक्ति जिम्मेदार रहा है तो ऐसे लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला या अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश भी कर सकती है.
दरअसल, जब चांदनी चौक को पुराने स्वरूप में विकसित करने का कार्य हुआ तो ऐतिहासिक टाउन हॉल परिसर में करीब सात लाख लीटर क्षमता का एक वाटर टैंक बनाया गया था. इसी के साथ संकरी गलियों और कटरों के साथ फायर हाइडेंट भी लगाए गए. ताकि आपात स्थिति में पाइप के माध्यम से अग्निकांड पर काबू पाया जा सके. लेकिन नौकरशाही की लचर कार्यशैली के कारण यह अभी तक भी काम नहीं कर रहे हैं. व्यापारी संगठनों के बार-बार कहने के बावजूद इस काम को पूरा नहीं कराया गया है.
चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव कहते हैं कि अग्निकांड को लेकर जो कमेटी बनाई गई है उसमे कई ऐसे अधिकारी शामिल हैं जो खुद संदेह के घेरे में हैं. यहां लगातार हो व्यावसायिक स्तर पर हो रहे अवैध निर्माण, अतिक्रमण के लिए तो नगर निगम और पुलिस ही जिम्मेदार है. जबकि वाटर टैंक को चालू नहीं करने के लिए रि-डेवलपमेंट कारपोरेशन और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी जिम्मेदार हैं. ऐसे में जांच के नाम पर महज खानापूर्ति ही होने की आशंका है.
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