Gymkhana Club: जिमखाना का सरकारी निदेशक मंडल पूर्व नौकरशाह की आरामगाह में तब्दील होने लगा है. आरोप है कि सेवानिवृत्ति के बाद सत्ता सुख का आनंद उठाने में मशगूल यह नौकरशाह 20 माह में अनियमितता के एक भी मामले की जांच नहीं कर पाए हैं. इतना ही नहीं खुद नियमों का उल्लंघन करने के आरोपों में फंसे यह निदेशक क्लब सदस्यों का सामना भी नहीं कर पा रहे हैं. यही वजह है कि क्लब सदस्यों के दबाव में आम सभा की बैठक बुलाने का फैसला तो कर लिया गया, लेकिन बैठक आमने-सामने बैठकर नहीं बल्कि वर्चुअल तरीके से की जाएगी. सरकारी निदेशकों की इस कारगुजारी का क्लब में जमकर विरोध शुरू हो गया है.
दरअसल केंद्र सरकार ने जिमखाना क्लब प्रबंधन के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि यहां वित्तीय अनियमितता और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार के ऐसे ही आरोपों के कारण बीते साल यहां प्रशासक की नियुक्ति की गई थी. लेकिन दो प्रशासकों पर लगे आरोपों के बाद एनसीएलटी ने यहां 15 सदस्यीय निदेशक मंडल नियुक्त करने का आदेश दे दिया. जिसे हर तीन माह में की गई जांच की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश करनी थी. मगर हैरानी की बात है कि सरकारी नुमाइंदों ने किसी भी मामले में गंभीरता से जांच करने की पहल तक नहीं की है.
क्लब में सदस्यों का एक बड़ा समूह है जो क्लब की धूमिल होती छवि से निराश हो गया था. उसे उम्मीद थी कि सरकार के हाथ में प्रबंधन आने के बाद तमाम आरोपों की जाँच निष्पक्षता से होगी और क्लब फिर से सुचारु तरीके से काम करेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इतना ही नहीं बीते साल दिसंबर में हुई आम सभा की बैठक के बाद आम सभा की बैठक फिर से बुलाने का प्रयास तक नहीं किया गया. जिससे खफा क्लब के 30 वरिष्ठ सदस्यों ने 14 दिसंबर को कंपनी अधिनियम के तहत प्रबंधन को नोटिस देकर आम सभा बुलाने की मांग की थी.
सदस्यों का आरोप है कि उनका नोटिस मिलने के बाद क्लब के सरकारी निदेशकों ने 15 दिसंबर की रात नियमों को दरकिनार कर जनरल कमेटी की बैठक की. जिसमे 30 दिसंबर को आम सभा की बैठक बुलाने का नोटिस जारी कर दिया. ख़ास बात यह है कि निदेशक मंडल में विशेषज्ञ के तौर पर शामिल की गई एमसीए की संयुक्त सचिव अनीता शाह इस बैठक में शामिल नहीं हुईं. इतना ही नहीं आम सभा की बैठक बुलाने के लिए कम से कम 21 दिन पहले नोटिस देने की अनिवार्यता का भी पालन नहीं किया गया है. नोटिस में यह भी नहीं बताया गया है कि इस बैठक के एजेंडे को किस जनरल कमेटी ने स्वीकृति दी थी.
हैरानी की बात है कि जिस समय क्लब में महफ़िलों और पार्टियों का दौर चल रहा है तब भी निदेशक मंडल ने 30 दिसंबर की प्रस्तावित बैठक वर्चुअल तरीके से करने का फरमान जारी किया है. आरोप है कि सदस्यों ने कानूनी फीस और अन्य मदों पर खर्च किए गए क्लब के पैसा का हिसाब-किताब माँगा है. इसके अलावा डेविस कप के नाम पर हुए तथाकथित घोटाले के बारे में भी जानकारी मांगी है. मगर सरकारी निदेशक खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए खर्च किए गए क्लब के पैसे का हिसाब देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. यही वजह है कि 30 सदस्यों द्वारा दिए गए नोटिस में शामिल एजेंडे का जिक्र तक नहीं किया गया है. सदस्यों के आरोपों का सामना करने से डर रहे सरकारी निदेशकों ने आम सभा की बैठक भी आमने-सामने बैठकर करने के बजाए वर्चुअल तरीके से बुलाई है.
क्लब सदस्यों के अनुसार जनरल कमेटी ने हिसाब-किताब में बीते साल 20 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है. लेकिन इसका कारण क्या है? और घाटा कैसे हुए? इसकी जानकारी नहीं दी गई है. इतना ही नहीं ऑडिटर द्वारा लगाई गई आपत्तियों का भी जवाब देने की कोशिश नहीं की गई है. क्लब सदस्यों की मानें तो पेश किए जा रहे अकाउंट पर जनरल कमेटी के किसी भी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं हैं.
अमूल्य भारतीय तटरक्षक बल के लिए एक महत्वपूर्ण जोड़ होगा. यह जहाज समुद्री सीमाओं पर…
Humorous Incident on Airport In India: एयरपोर्ट पर एक शख्स बड़ा बोर्डिंग पास लेकर पहुंचा,…
महाकुंभ में यात्रियों की सुविधा को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार व्यापक पैमाने पर…
PM Modi Appreciates Children's Artwork: प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों द्वारा बनाई तस्वीर देखी और उन्हें…
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सुधार के चलते CAQM ने GRAP के स्टेज III के तहत…
"ओवरवेट" रेटिंग का मतलब है कि मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि ये स्टॉक्स आने…