दिल्ली पुलिस की कमजोर रीढ़ को मजबूत करने के बजाए, उसके कंधों का बोझ बढ़ाया जा रहा है. महकमे में सिपाही से लेकर हवलदार तक के दस हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं. ACP और इंस्पेक्टर स्तर के 188 पद भी खाली हैं. मगर फंक्शनल रैंक पर पदोन्नत किए गए अफसरों को इसमें समाहित करने की बजाए उनकी फजीहत का दौर जारी है. इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि अपनी नींव मजबूत करने में नाकाम नेतृत्व ने महकमे में पद नहीं होने के 10 IPS अफसरों को स्पेशल CP और जॉइंट CP की सीटो पर बैठा दिया है.
देश की राजधानी दिल्ली में G20 की तैयारी चल रही है. ऐसे में कानून व्यवस्था की वर्तमान स्थिति देश के माथे पर दाग लगा सकती है. मगर हैरानी की बात है कि पुलिस महकमा रिक्त पदों को समय रहते भरने में विफल साबित हुआ. बीते सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो महकमे में 14,244 पद रिक्त पड़े हैं. इसमें भी 10,744 पद तो केवल सिपाही और हवलदार के ही हैं. जबकि पुलिस व्यवस्था में इन्हें ही सुरक्षा प्रणाली की सबसे मजबूत रीढ़ माना जाता है.
जमीनी स्तर पर प्रबंधन की बात हो तो पुलिस विभाग में तैनात थानेदार सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं. इनमें SI और ASI दोनों स्तर के अधिकारी शामिल हैं. मगर दिल्ली पुलिस में SI के कुल 8086 में से 1950 पद खाली पड़े हैं तो ASI के 7312 में से 389 स्थान रिक्त खाली हैं.
दिल्ली पुलिस में निरीक्षक स्तर पर पदोन्नति में होने वाली देरी को ध्यान में रख बीते साल अप्रैल से जुलाई के बीच करीब 215 इंस्पेक्टरों को पदोन्नत कर फंक्शनल ACP बनाया गया था. मगर वर्तमान आयुक्त संजय अरोड़ा ने फंक्शनल अफसरों को लेकर जारी एक आदेश में इनकी स्थिति अछूतो जैसी कर दी. हैरानी की बात है कि विभाग में अभी ACP के 167 पद रिक्त पड़े हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में फंक्शनल रैंक के ACP बने लोगों को वहां समाहित किया जा सकता है. मगर निचले स्तर के अधिकारियों का मामला होने के कारण कोई इस दिशा में गंभीर पहल सामने नहीं आ पाई है.
जहां महकमे में जमीन पर काम करने वाले स्टाफ के लिए दोहरा रवैया सामने आता रहा है, वहीं IPS अफसरों का मामला आया तो पुलिस आयुक्त से लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय तक का नजरिया बदल गया. इस बात का प्रमाण यह है कि दिल्ली पुलिस में स्पेशल और ज्वाइंट CP के पद नहीं होने के बावजूद नए-नए पद सृजित करके 10 IPS अफसरों को वहां तैनात कर दिया गया. पुलिस में स्पेशल CP के 17 पद हैं, मगर फिर भी 24 अफसर तैनात हैं. जबकि ज्वाइंट CP के 17 पदों की जगह 20 अफसर तैनात कर दिए गए. ख़ास बात है कि इस स्तर के पद पर तैनात एक-एक अफसर के पास करीब 10 से 15 पुलिस कर्मियों को भी नियुक्त करना पड़ता है.
दिल्ली पुलिस में केवल सिपाही, हवलदार, थानेदार और इन्स्पेक्टर ही बेरुखी के शिकार नहीं हैं, UPSC से नियुक्त होने वाले DANIPS अफसरों को भी दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ता है. यह अधिकारी महकमे में अडिशनल DCP और कहीं-कहीं DCP के पद पर तैनात किए जाते थे. मगर इनके ज्यादातर अहम पदों को भी IPS अफसरों के हवाले कर दिया गया है. इतना ही नहीं DANIPS अफसरों के कुल 54 में से 32 पद भी रिक्त पड़े हैं. जिन्हे भरने की चिंता शायद किसी को नहीं है.
लचर प्रशासनिक व्यवस्था और बढ़ते आपराधिक मामलों के चलते आलोचना का दंश सह रही दिल्ली पुलिस अपने कामकाज की शैली सुधारने के लिए गंभीर नजर नहीं आ रही है. बीते कुछ महीनों के भीतर ही कई थानों में हुई CBI रेड ने तो वर्तमान नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. मगर आला अधिकारी मानते हैं कि महकमे में उच्च स्तर पर चल रही रस्साकशी, विश्वसनीयता के अभाव और सामंजस्य की कमी के चलते हालात सुधरने की संभावना नजर नहीं आ रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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