बीजेपी उम्मीदवारों के चयन के लिए संगठन में चल रही माथापच्ची पेचीदा होती जा रही है. “आप” की कड़ी चुनौती के चलते “मिशन 2022” को सफल बनानें मे जुटी पार्टी के लिए ख़ुद के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की महत्वाकांक्षा मुसीबत बन गई है. इसी के साथ टिकट दिलाने के लिए लेन-देन के आरोप भी लगने लगे हैं. शायद यही वजह है कि शुक्रवार रात संगठन महामंत्री के कार्यालय में हुए मंथन में रायशुमारी की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में आ गई.
सूत्रों के अनुसार गुरुवार को चुनाव समिति की बैठक में करीब दर्जनभर चहेतों को टिकट दिलाने पर अडे एक सांसद ने एक महामंत्री को दलाल कहते हुए गंदी गाली दे दी. जिससे बैठक का माहौल तनावपूर्ण हो गया. दूसरी ओर एक सांसद ने बोल दिया कि उसके जिला में पैसे लेकर नाम तय किए गए हैं, लिहाज़ा कुछ भी बोलने का फ़ायदा नहीं है. वहीं दिल्ली के संगठन में दखल रखने वाली महिला नेता मयूर विहार जिला में दाग़ी छवि वाली उम्मीदवार को टिकट देने पर अड गई. उनका तर्क था कि क्या वह अपनी मर्ज़ी से एक टिकट भी नहीं दे सकती?
गुरुवार और शुक्रवार की रात चल रही मैराथन बैठकों के बावजूद संभावित उम्मीदवारों के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है. दरअसल प्रदेश के कई पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि चहेतों को टिकट देने के लिए दबाव बना रहे हैं. इनमें ऐसे नाम भी शामिल हैं जिनके जीतने की संभावना ही नज़र नहीं आ रही है. “आप” से मिल रही कड़ी चुनौती के बावजूद पार्टी नेताओं का यह रवैया “मिशन 2022” की राह में बाधा बन सकता है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश के दो पदाधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं. दरअसल नई दिल्ली और नजफगढ जिले में दो मौजूदा पार्षदों की सीट सामान्य श्रेणी में तब्दील हो गई हैं. दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं. बावजूद इसके आरोपी नेताओं ने उन दोंनों पार्षदों को दूसरी सीट से टिकट देने का फ़ैसला ले लिया. वरिष्ठ पदों पर क़ाबिज़ नेताओं के यह कहानी पार्टी दफ़्तर में चटखारे के साथ सुनाई जा रही है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार शुक्रवार रात संगठन महामंत्री के साथ हुई बैठक में प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी, अध्यक्ष, संगठन महामंत्री और नेता विपक्ष के मंथन के दौरान रायशुमारी की क़वायद पर ही सवाल खड़ा हो गया. जिसके चलते देर रात विभिन्न सीटों के समिति अध्यक्षों को फ़ोन करके उनके द्वारा सुझाए गए नामों का सत्यापन किया गया. उनसे पूछा गया कि उनकी सीट पर कौन नेता जीत हासिल कर सकता है. क्योंकि केन्द्रीय नेतृत्व के सर्वे में बहुत सी सीटों पर सामने आए मज़बूत दावेदारों के नाम रायशुमारी में शामिल ही नहीं थे.
केवल जीत के लिए लगातार क़वायद कर रहे कईं वरिष्ठ पार्टी नेताओं का मानना है कि उन्हे लंबे समय के बाद बैज्यंत पांडा के रुप में ऐसा प्रभारी मिला है जो बिना व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के निष्पक्षता से कार्य कर रहा है. वह किसी भी हाल में मिशन 2022 सफल करना चाहते है. यदि उन्होंने बिना दबाव के संभावित उम्मीदवारों का चयन किया तो पार्टी हैट्रीक लगाने में कामयाब हो सकती है.
दरअसल पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा अभी हिमाचल में हैं. जो देर रात तक वापस लौटेंगे. चर्चा है कि उनके आने के बाद देर रात उम्मीदवारों की सूची जारी होगी. पार्टी को यह भी आशंका है कि टिकट घोषित होने के बाद नाराज़ कार्यकर्ता प्रदेश कार्यालय में तोड़फोड़ कर सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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