क्या अब सड़कों से गायब हो जाएंगी डीजल गाड़ियां? इस मंत्रालय के सुझाव पर चल रही तैयारी

Diesel Vehicles: देश के बड़े शहरों में डीजल गाड़ियों को लेकर कई स्तर के प्रतिबंध लागू हैं. लेकिन, अब तैयारी है कि डीजल गाड़ियों को पूरी तरह से बैन कर दिया जाए. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक पैनल ने 2027 तक बड़े शहरों में डीजल से चलने वाली कारों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है. पैनल में शामिल अधिकारियों का कहना है कि जिन शहरों की आबादी 10 लाख से ज्यादा है, वहां पर डीजल के बजाय सिर्फ इलेक्ट्रिक या सीएनजी फिटेड गाड़ियां ही चलाई जाएं.

पूर्व पेट्रोलियम सेक्रेटरी तरुण कपूर के नेतृत्व में ‘एनर्जी ट्रांजिशन एडवाइजरी कमेटी’ ने 2030 तक बड़े शहरों में मेट्रो ट्रेन और इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का सुझाव दिया है. हालांकि, अब सवाल उठता है कि आखिर डीजल गाड़ियों को सड़कों से हटाने की तैयारी क्यों है? इनको हटाने से क्या तब्दीली आ सकती है?

डीजल व्हीकल हटाने की वजह

भारत सरकार ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी को लेकर कमर कसे हुए है. इसी लक्ष्य को देखते हुए ऊर्जा, इंडस्ट्रीज एवं परिवहन से जुड़े थिंक टैंक इस मुहिम पर लगातार काम कर रहे हैं. इसी के मद्देनजर भारत ने 2070 तक जीरो ग्रीन हाउस गैस एमिशन का टारगेट सेट किया है.

बड़े शहरों से डीजल से चलने वाली गाड़ियों को हटाने का फैसला कई मायनों में अहम है. भारत में 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों की संख्या काफी अधिक है. इनमें न सिर्फ मेट्रो सिटीज बल्कि छोटे कस्बे भी शामिल हैं. जिनमें धनबाद, रायपुर, कोटा, विजयवाड़ा, अमृतसर, जोधपुर आदि की गिनती कर सकते हैं.

भारत में कम होता डीजल गाड़ियों का उत्पादन

देश में कार निर्माता कंपनियां भी हालात को देखते हुए डीजल इंजन निर्मित गाड़ियों का प्रोडक्शन कम करने लगी हैं. भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुती सुजुकी ने तो 1 अप्रैल, 2020 से डीजल इंजन गाड़ियों का उत्पादन बिल्कुल ही रोक दिया है. कंपनी अब इलेक्ट्रेकि वाहनों की ओर ज्यादा तवज्जो दे रही है.

हालांकि, डीजल इंजन के सेग्मेंट में भारतीय कंपनियां महिंदार और टाटा मोटर्स लगातार अपना उत्पादन जारी रखे हुए हैं. लेकिन, इसके साथ ही साथ ये कंपनियां इलेक्ट्रिक कार के मार्केट में भी अपने दायरा फैला रही हैं. इनके अलावा कोरियन कंपनी हुंडाई, किया और जापान की टोयटा मोटर की डीजल गाड़ियां बाजार में काफी लोकप्रिय हैं. लेकिन, 2020 के बाद से इन्होंने भी अपने प्रोडक्शन को कम करना शुरू कर दिया है.

डीजल गाड़ियां लोगों की पसंद क्यों?

पेट्रोल इंजन की गाड़ियां भले ही सस्टेनेबल और लॉन्ग-लास्टिंग होती हैं. लेकिन, अधिकांश लोग डीजल गाड़ियों को ही वरीयता देते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह इनकी माइलेज है. डीजल गाड़ियों का इंजन कम फ्यूल में ज्यादा किलोमीटर की यात्रा तय कर लेती हैं. डीजल में एनर्जी क्रिएशन की क्षमता भी काफी ज्यादा होती है. यही वजह की तमाम हैवी व्हीकल में डीजल इंजन ही होता है.

डीजल गाड़ियों को हटाने की असल वजह क्या?

डीजल इंजन सबसे ज्यादा नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स (NOx) का उत्सर्जन करता है. पेट्रोल की तुलना में डीजल का यह सबसे बड़ा ड्रॉ-बैक है. कई मामलों में देखा गया है कि जो पैरामीटर इस फ्यूल से जुड़े इंजन के लिए सेट किए गए, उनके मानक पूरा नहीं हुए. इसके लिए वॉक्सवैगन एमिशन स्कैंडल सबसे बड़ा उदाहरण है.

इस स्कैंडल के चलते डीजल इंजन का भारत समेत पूरी दुनिया में नकारात्मक असर देखा गया. वहीं, दूसरी ओर कार कंपनियों को भी BS-VI इंजन बनाने की लागत काफी ज्यादा आने लगी है. यही वजह है कि मारुती ने 2020 में ही इसके प्रोडक्शन को रेड सिग्नल दिखा दिया.

डीजल गाड़ियों को हटाने में चुनौतियां

डीजल इंजन वाली गाड़ियों को सड़कों से हटाने का मसौदा कई देशों में चल रहा है. भारत के संदर्भ में बात किया जाए तो यहां पर यह प्रक्रिया थोड़ी मुश्किलों से भरी है. क्योंकि, अधिकांश मोटर कंपनियां और तेल कंपनियों ने BS-VI माध्यम में काफी भारी निवेश कर दिया है. यदि पूरी तरह से डीजल इंजन पर बैन लगता है, तो ये पूरा निवेश बेकार चला जाएगा और आर्थिक चोट जबरदस्त हो सकती है.

यही नहीं भारी वाहनों का संचालन भी बिना डीजल मुश्किल लगता है. क्योंकि, सीएनएजी, हाइड्रोजन, एलएनजी जैसे विकल्पों को अभी सही ढंग से एक्सप्लोर नहीं किया गया है. अभी भी बड़े पैमाने पर ट्रक और बसों का संचालन डीजल पर ही है.

जानकारों का मानना है कि यदि डीजल इंजन वाली गाड़ियों को हटाना है, तो इस पर फेज-वाइज काम किया जाए. जब तक कि डीजल के मुकाबले कोई दूसरा बेहतरीन विकल्प न मिल जाए. तब तक संपूर्ण फेज-आउट के प्लान पर काम करना मूर्खता होगी. तेल कंपनियों का तर्क है कि उन्होंने पहले ही BS-VI के मानक के तहत तेल को रिफाइन किया है. नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी के तहत उत्पादन किया जा रहा है. इसके चलते डीजल में सल्फर का लेवल काफी हद तक कम हो चुका है.

Amrit Tiwari

Editor (Digital)

Recent Posts

भारतीय रेलवे 96 प्रतिशत विद्युतीकरण के करीब; अफ्रीकी देशों को होगा डीजल इंजन का निर्यात

भारतीय रेलवे स्टील और खनन उद्योगों में उपयोग के लिए अफ्रीका को 20 डीजल इंजन…

25 minutes ago

UP के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक हुए सख्त, ड्यूटी से गायब आठ डाक्टरों की बर्खास्तगी के निर्देश

उत्तर प्रदेश सरकार ड्यूटी से लगातार गायब रहने वाले चिकित्साधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किए…

41 minutes ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने DDA को महिला और नाबालिग बेटों को 11 लाख का मुआवजा देने का निर्देश, लापरवाही के लिए ठहराया जिम्मेदार

वर्ष 1986-88 के दौरान झिलमिल कॉलोनी में 816 फ्लैटों के बहुमंजिला परिसर में एक फ्लैट…

1 hour ago

“शराबबंदी का मतलब है अधिकारियों के लिए मोटी कमाई”, जानिए पटना हाईकोर्ट ने आखिर ऐसा क्यों कहा

बिहार सरकार के शराबबंदी कानून पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा है…

1 hour ago

भारत-पाक मैच को लेकर केंद्र सरकार की जो नीति है, हम उसका पालन करेंगे: राजीव शुक्ला

Champions Trophy: चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत ने पाकिस्तान दौरे के लिए साफ इंकार कर…

1 hour ago