मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना में वित्तीय सहयोग करने के एकल पीठ के आदेश को दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) ने हाईकोर्ट के दो सदस्यीय पीठ में चुनौती दी गई है। एकल पीठ ने कहा था कि 50 करोड़ रुपए से अधिक बजट होने को देखते हुए बीसीडी योजना में खुद योगदान दे।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा एवं न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पींठ ने इस मामले में केंद्र सरकार एवं दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। एकल पीठ ने वर्ष 2021 के एक आदेश में कहा था कि सरकार के घाटे की बजट को देखते हुए योजना के लिए बीसीडी शेष राशि अपने कोष से दे या वकीलों से योगदान व लाभार्थियों से राशि एकत्र कर दे। उसे ही बीसीडी ने दो सदस्यीय पीठ के समक्ष चुनौती दी है।
बीसीडी ने अपने अपील में कहा है कि सरकारी योजनाएं सभी के लिए है और यह भेदभावपूर्ण नहीं हो सकता है। इसलिए योजना के कार्यान्वयन के लिए वित्त सहित पर्याप्त बुनियादी ढांचा स्थापित करना सरकार की जिम्मेदारी है। सभी वकील एक समान हैं और वे सभी लाभ के हकदार है। उन्हें मनमाने या वजट में कमी का आधार बनाकर लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
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