मनु भाकर (फाइल फोटो).
दो बार की ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मनु भाकर ने मंगलवार को राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिए नामांकन दाखिल करने में हुई चूक को स्वीकार किया. खेल रत्न से उनकी अनुपस्थिति पर चल रहे विवाद के बीच, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी सफाई दी.
मनु भाकर, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत और मिश्रित टीम में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा, स्वतंत्र भारत की पहली ऐसी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एक ओलंपिक में दो पदक जीते.
22 वर्षीय निशानेबाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “खेल रत्न पुरस्कार के लिए मेरे नामांकन के साथ चल रहे विवाद के संबंध में मैं कहना चाहती हूं कि एक खिलाड़ी के रूप में मेरा मुख्य कर्तव्य अपने देश के लिए खेलना और प्रदर्शन करना है. मुझे लगता है कि नामांकन भरने में, शायद मेरी ओर से कुछ चूक हुई है जिसे अब सुधारा जा रहा है.”
मनु ने स्पष्ट किया कि उनके लिए प्रदर्शन ही प्राथमिकता है और पुरस्कार केवल प्रेरणा का माध्यम हैं. “पुरस्कार और पहचान मुझे प्रेरित करते हैं, लेकिन वे मेरे लक्ष्य नहीं हैं. बिना किसी पुरस्कार के भी मैं अपने देश के लिए और अधिक पदक जीतने के लिए प्रेरित रहूंगी. कृपया इस मामले पर अटकलें न लगाएं.”
मनु के इस बयान से पहले, उनके कोच जसपाल राणा और पिता रामकिशन भाकर ने खेल मंत्रालय और चयन समिति की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने मनु की उपलब्धियों की अनदेखी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
मनु के पिता ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “मेरी गलती है कि मैंने उसे खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. इतनी बड़ी उपलब्धियों के बाद भी उसकी मेहनत को नजरअंदाज किया जा रहा है.”
पेरिस ओलंपिक में मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत और मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता. मिश्रित टीम में उन्होंने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया.
खेल मंत्रालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए चयन प्रक्रिया में हुई चूक को सुधारने का आश्वासन दिया है. उम्मीद है कि इस विवाद का जल्द ही समाधान हो जाएगा और मनु भाकर जैसे समर्पित खिलाड़ी को उनके योगदान के लिए उचित सम्मान मिलेगा.
“मनु का समर्पण और उनका प्रदर्शन ही उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है. पुरस्कार मिले या न मिले, वह देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी.”
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-भारत एक्सप्रेस
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