संसद सत्र: औरंगाबाद से सांसद सैयद इम्तियाज़ जलील ने सवाल किया कि देश में मेडिकल कॉलेज तो खुल रहे हैं लेकिन कई ऐसे कॉलेज हैं जहां फैकल्टी नहीं है. जब MCI की टीम आती है तो दूसरे कॉलेज से स्टाफ बुलाया जाता है और ऐसे दिखाया जाता है कि कॉलेज में फैकल्टी पूरी है. इस प्रथा को कब बंद किया जाएगा. उन्होंने वर्तमान में सरकारी मेडिकल कॉलेज में वैकेन्सी का आंकड़ा भी मांगा.
इसपर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि जब मेडिकल कॉलेज की बात होती है तो हम कॉलेज देते हैं, फैकल्टी रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है. प्राइवेट कॉलेज में ये जिम्मेदारी कॉलेज की होती है. हमें बताया जाता है कि यहां फैकल्टी पूरी है, तो हम यहां से इंस्पैक्शन भेजते हैं. वहां जाकर इंस्पेक्शन करते हैं तो वहां फैकल्टी दिखती है. ये तो इंटीग्रिटी का सवाल है, खुद को ही देखना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमने सिस्टम बदल दिया है. कॉलेज में साल में एक ही बार इन्सपेक्शन हो और उसी के आधार पर साल का आकलन किया जाए ये उचित नहीं है. इसलिए हमने यहां कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया है जहां 16 कैमरे हैं. हर कॉलेज के गेट पर कैमरे लगे हैं, जिनसे कॉलेज में आने वाले लोगों और ओपीडी, मरीजों की जानकारी, AI की सुविधा से फैकल्टी की जानकारी भी लाइव मिलती है. इसी के आधार पर हम तय करते हैं कि इस कॉलेज को आगे सीट देनी है या नहीं. हमने ऐसे कई कॉलेज बंद किए हैं और बाकियों पर भी कार्रवाई होनी है. सरकार इसपर कड़ा एक्शन ले रही है.
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