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भूटान नरेश जिग्मे खेसर और प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने किया Adani Group की खावड़ा परियोजना एवं मुंद्रा पोर्ट का दौरा

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (King Jigme Khesar Namgyel Wangchuck) और प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे (Tshering Tobgay) ने मंगलवार को अडानी समूह की खावड़ा नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना और मुंद्रा पोर्ट का दौरा किया. अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी (Gautam Adani) ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इसकी जानकारी दी. उन्होंने भूटान नरेश और प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की तस्वीरें भी शेयर की.

अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी पोस्ट में लिखा, “खावड़ा में अडानी की 30 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना स्थल और मुंद्रा पोर्ट का दौरा करने के लिए भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे का आभारी हूं. भूटान की जीवंत भावनाओं और पर्यावरण अनुकूल पहलों की तारीफ करते हुए गौतम अडानी ने एक्स पर लिखा, “सतत एवं हरित भविष्य के लिए थंडर ड्रैगन की भूमि के साथ सहयोग में अपनी भूमिका निभाकर हम काफी उत्साहित हैं.”

अवसरों का पता लगाना

सूत्रों ने कहा कि उनकी यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य अडानी समूह के साथ कई क्षेत्रों में व्यापक सहयोग के अवसरों का पता लगाना था. मुंद्रा में अडानी समूह भारत के सबसे बड़े वाणिज्यिक बंदरगाह का संचालन करता है, जबकि खावड़ा में यह दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क विकसित कर रहा है.

अडानी समूह गुजरात के कच्छ स्थित खावड़ा में परती जमीन पर दुनिया की सबसे बड़ी 30 हजार मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना का विकास कर रही है. कुल 538 वर्ग किलोमीटर में बनने वाली यह परियोजना क्षेत्रफल के मामले में पेरिस की तुलना में पांच गुना और मुंबई शहर के लगभग बराबर है. भूमि पूजन के महज 12 महीने के भीतर खावड़ा स्थित दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र में पहले दो गीगावाट का कमीशन होना अपने-आप में रिकॉर्ड है.

भूटान के प्रधानमंत्री के साथ गौतम अडानी

नवीकरणीय ऊर्जा

नवीकरणीय ऊर्जा में विकास की संभावनाओं को देखते हुए, अडानी ग्रीन एनर्जी ने वित्त वर्ष 2029-30 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का अपना लक्ष्य 45 गीगावाट से बढ़ाकर 50 गीगावाट कर दिया है. वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 2.8 गीगावाट की अतिरिक्त क्षमता जोड़ी है, जो देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि का 15 प्रतिशत है.

गुजरात का मुंद्रा पोर्ट देश का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है. वित्त वर्ष 2023-24 में 18 करोड़ टन कार्गो वॉल्यूम (साल दर साल 16 प्रतिशत की वृद्धि) के साथ अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन के फ्लैगशिप मुंद्रा पोर्ट के वित्त वर्ष 2024-25 में 20 करोड़ टन के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है. इसने हाल ही में किसी भी भारतीय बंदरगाह पर सबसे बड़े जहाज की अगवानी कर एक और रिकॉर्ड कायम किया है.

भूटान का लक्ष्य

भूटान का लक्ष्य बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकास में समूह की विशेषज्ञता पर सहयोग करना है. चर्चा के दौरान आपसी हित के प्रमुख क्षेत्रों में जलविद्युत, पारेषण लाइनें, गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी जैसे शहरी विकास, सीमेंट उद्योग, हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं.

अडानी समूह ने 570 मेगावाट वांगचू जलविद्युत परियोजना के विकास के लिए ड्रुक ग्रीन पावर कंपनी (डीजीपीसी) के साथ पहले ही एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. अडानी की साइटों के दौरे पर राजा के साथ डीजीपीसी के अधिकारी भी थे.

भूटान की अर्थव्यवस्था

यह पहल महत्वपूर्ण है, क्योंकि जलविद्युत भूटान की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद और निर्यात राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देती है. भूटान अपनी उत्पादित बिजली का एक बड़ा हिस्सा भारत को निर्यात करता है, जिससे भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है.

भूटान में महत्वपूर्ण जलविद्युत क्षमता है, जिसका अनुमान लगभग 30,000 मेगावाट है, जिसमें लगभग 24,000 मेगावाट आर्थिक रूप से व्यवहार्य माना जाता है. 1960 के दशक से भारत द्वारा समर्थित भूटान के जलविद्युत क्षेत्र का विकास, इसके आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण रहा है.

पड़ोसी देशों को समर्थन

अपनी मजबूत बुनियादी ढांचा क्षमताओं को देखते हुए अडानी समूह पड़ोसी देशों को उनके सतत विकास प्रयासों में सक्रिय रूप से समर्थन दे रहा है. हाल के सहयोगों में पवन ऊर्जा स्टेशनों के लिए श्रीलंकाई सरकार के साथ 20-वर्षीय समझौता शामिल है, जो सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और द्वीप राष्ट्र के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी बिजली परियोजना का प्रतिनिधित्व करता है.

इसके अतिरिक्त अडानी समूह ने झारखंड में अपने 1,600 मेगावाट के गोड्डा पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली निर्यात करना शुरू किया – जो भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय बिजली परियोजना है – जिससे क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया गया है.

भूटानी प्रतिनिधिमंडल और अडानी समूह के बीच चल रही चर्चा सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करती है.


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-भारत एक्सप्रेस

Vikash Jha

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